Irrigation Technique : दुनिया-भर में दिनों-दिन पानी की कमी होती जा रही है. ऐसे में भारत भी इससे अछूता नहीं है. खासकर पारंपरिक तरीके से की गई खेती में पानी की अधिक बरबादी होती है. परंतु अब तकनीक का दौर है तो खेती की सिंचाई के तौर-तरीके भी बदल रहे हैं. सरकार भी सिंचाई की अनेक आधुनिक तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए अनेक योजनाएं चलाती है. ऐसी ही एक खास योजना ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ है. जानिए इस योजना के बारे में क्या है इसमें खास और किसान कैसे इस तकनीक का लाभ लें.

पानी की बचत और ज्यादा उत्पादन

इस सिंचाई पद्धति (Irrigation Technique) को अपनाकर किसान 40 से 50 फीसदी तक पानी की बचत कर सकते हैं, साथ ही 30 से 40 फीसदी तक उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है. खेती में सरकार की ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ माइकोइरीगेशन योजना के तहत ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली को प्रभावी ढंग से विभिन्न फसलों में अपनाने हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है.

बूंद-बूंद का इस्तेमाल

इस खास तकनीक को बूंद-बूंद सिंचाई और फव्वारा सिंचाई भी कहा जाता है. इस तकनीक में बूंद-बूंद पानी सिंचाई के काम आता है और पानी की बिलकुल बर्बादी नहीं होती, इसलिए जहां पानी की कमी है, वहां के लिए तो यह तकनीक बहुत ही फायदेमंद है.

क्या है ड्रिप इरीगेशन पद्धति

फसल के अनुसार सिंचाई तकनीक का करें इस्तेमाल. इसमें मिनी, पोर्टेबल, सेमी परमानेंट एवं रेनगन स्प्रिंकलर अलग-अलग सिंचाई के तरीके हैं, लेकिन सभी पानी की बचत के साथ-साथ अच्छी फसल उत्पादन देने में मदद करते हैं.

Irrigation Technique

कौन-सी फसलों में अपनाएं यह तकनीक

बागबानी / फल उद्यान फसलें – आम, अमरूद, आंवला, नीबू, बेल, बेर, अनार, अंगूर, आड़ू, लोकाट, आलूबुखारा, नाशपाती, पपीता एवं केला आदि.

सब्जियां – टमाटर, बैगन, भिंडी, मिर्च, शिमला मिर्च, गोभीवर्गीय, कद्दूवर्गीय एवं अन्य इसी तरह की खेती में कारगर.

सुगंधित एवं औषधीय फसलें – रजनीगंधा, ग्लेडियोलस, गुलाब और औषधीय एवं सुगंधित अन्य फसलों में भी.

अन्य फसलें – आलू, गन्ना और भी कई फसलों में इस योजना के तहत लाभ उठाकर सिंचाई की जा सकती है.

कैसे ले सकते हैं योजना का लाभ

‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ योजना का संचालन वेब बेस्ड UPMIP पोर्टल के माध्यम से किया जा रहा है. जो किसान इसका लाभ लेना चाहते हैं वे www.upmip.in पोर्टल पर पंजीकरण करवा सकते हैं और सूक्ष्म सिंचाई पद्धति (Irrigation Technique) का लाभ ले सकते हैं. इसके लिए 10 से 90 फीसदी तक अनुदान मिलता है, जो फसल के अनुसार अलग – अलग होता है.

आज के समय पानी खेती की सबसे बड़ी जरूरत है. अगर समय पर फसल को पानी नहीं मिला तो फसल बर्बाद होते समय नहीं लगता. ऐसे में सिंचाई योजनाओं को अपनाना किसानों के लिए फायदे की बात है.

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