Training : बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विभाग द्वारा ‘समेकित पोषक तत्त्व प्रबंधन’ पर आयोजित 15 दिवसीय प्रमाणपत्र प्रशिक्षण दिया गया. इस प्रशिक्षण (Training) में विभिन्न पृष्ठभूमि से आए कुल 60 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिन्हें प्रशिक्षण पूरा करने के बाद प्रमाणपत्र प्रदान किए गए. समापन समारोह के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित मुख्य मृदा सर्वेक्षण अधिकारी, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर तथा नोडल अधिकारी, सीसीआईएनएम ने प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र सौंपे.

इस प्रशिक्षण (Training) में भाग लेने वाले प्रतिभागियों में मुख्य रूप से किसान, पूर्व सैनिक, युवा उद्यमी और प्राथमिक कृषि साख समितियों के सदस्य शामिल थे. प्रशिक्षण (Training) का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में वैज्ञानिक पोषण प्रबंधन के प्रति जागरूकता बढ़ाना, उन्नत तकनीकों का प्रसार करना और किसानों को आत्मनिर्भर बनाना था.

प्रमाणपत्र प्राप्त कर चुके ये प्रतिभागी लाइसैंस प्राप्त कर कृषि आदानों जैसे उर्वरक और कीटनाशकों की बिक्री कर सकते हैं, जिस से उन्हें स्वरोजगार के नए अवसर मिलेंगे.

प्रशिक्षण (Training) कार्यक्रम में मृदा परीक्षण की तकनीक, जैविक एवं अकार्बनिक उर्वरकों का संतुलित उपयोग, पोषण प्रबंधन की वैज्ञानिक विधियां, फसल आधारित पोषण आवश्यकताएं, मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के उपाय, कीटनाशकों का सुरक्षित उपयोग और पर्यावरण संरक्षण जैसे विषयों पर गहन जानकारी दी गई. प्रशिक्षकों ने व्यावहारिक अभ्यास करा कर यह सुनिश्चित किया कि प्रतिभागी कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए आवश्यक कौशल सीख सकें. साथ ही, उन्हें सरकारी योजनाओं, सब्सिडी योजनाओं और लाइसैंस प्राप्त करने की प्रक्रिया के बारे में भी बताया गया.

विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार के प्रशिक्षण (Training) कार्यक्रम ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. इस से कृषि क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन होगा और किसानों को आवश्यक उत्पादों की उपलब्धता सुगमता से होगी.

मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विभाग ने पिछले चार महीनों में कुल 270 व्यक्तियों को प्रशिक्षण देकर प्रमाणपत्र प्रदान किए हैं. विभाग निरंतर इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है, ताकि अधिक से अधिक लोग वैज्ञानिक पोषण प्रबंधन की जानकारी प्राप्त कर सकें और स्वरोजगार से जुड़ सकें.

विभाग की योजना है कि आगामी महीनों में और अधिक युवाओं तथा किसानों को शामिल कर उन्हें प्रशिक्षित किया जाए ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें.

इस प्रशिक्षण (Training) से जुड़ने वाले प्रतिभागियों ने इसे एक नया अवसर बताया. कई किसानों ने कहा कि अब उन्हें उर्वरक और कीटनाशक के उपयोग में वैज्ञानिक जानकारी प्राप्त हुई है, जिस से वे फसल उत्पादन बढ़ा सकेंगे. पूर्व सैनिकों और युवाओं ने बताया कि यह प्रशिक्षण उन्हें नया व्यवसाय शुरू करने का रास्ता दिखा रहा है. पीएसीएस के सदस्यों ने कहा कि इस से ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि आदानों की आपूर्ति प्रणाली मजबूत होगी.

मुख्य मृदा सर्वेक्षण अधिकारी ने अपने संबोधन में कहा कि विभाग का उद्देश्य केवल प्रशिक्षण (Training) देना नहीं, बल्कि किसानों और युवाओं को सशक्त बनाना है. उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि प्रशिक्षण प्राप्त व्यक्ति न केवल लाइसैंस ले कर व्यवसाय करें, बल्कि अपने आसपास के किसानों को भी वैज्ञानिक पोषण प्रबंधन की जानकारी दें. इस से पूरे क्षेत्र में कृषि उत्पादकता और आय दोनों में वृद्धि होगी.”

नोडल अधिकारी, सीसीआईएनएम ने भी प्रतिभागियों को बधाई देते हुए कहा कि यह कार्यक्रम कृषि विकास में क्रांतिकारी कदम साबित होगा. उन्होंने बताया कि विभाग आगामी समय में नई तकनीकों पर आधारित प्रशिक्षण मौड्यूल तैयार कर और भी अधिक लोगों को लाभान्वित करेगा.

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