Pheromon Trap : राजस्थान के झुंझुनूं जिले की चिड़ावा तहसील के किसान फलसब्जियों की खेती में फलमक्खी से होने वाले तकरीबन 50 फीसदी नुकसान से काफी परेशान थे. इस की रोकथाम के लिए उन्होंने कीटनाशक दवाओं का उपयोग किया, लेकिन इस के बाद भी पूरी तरह से फलसब्जियों में होने वाले नुकसान से वे संतुष्ट नहीं थे. इस समस्या से नजात दिलाने के लिए रामकृष्ण जयदयाल डालमिया संस्थान ने किसानों को फैरोमैन ट्रैप उपलब्ध कराए, जिस से फल मक्खी से होने वाला नुकसान काफी हद तक खत्म हो गया और कीटनाशक दवाओं से फलसब्जियों पर होने वाला बुरा असर और उस पर आने वाली लागत भी खत्म हो गई.

फैरोमैन ट्रैप (Pheromon Trap) उपलब्ध कराने से पहले किसानों को इस के उपयोग की विधि का प्रशिक्षण भी दिया गया. यह पहल न केवल किसानों के लिए राहत की बात साबित हुई बल्कि, सतत कृषि पद्धति को बढ़ावा देने वाली प्रणाली भी बन गई.

संस्थान के कृषि एवं वानिकी समन्वयक शुभेंद्र भट्ट ने बताया कि फलसब्जियों की खेती में फल मक्खी किसानों के लिए एक गंभीर समस्या बनी हुई थी. इस से पैदावार में 50 से 60 फीसदी तक नुकसान दर्ज किया जाता रहा है. इस समस्या से निबटने और रासायनिक दवाओं पर निर्भरता घटाने और पर्यावरण अनुकूल समाधान देने के उद्देश्य से फैरोमैन ट्रैप (Pheromon Trap) को अपनाने की सलाह दी है.

उन्होंने आगे बताया की पिछले साल में चिड़ावा और आसपास के क्षेत्रों के बगीचों में फल मक्खी का प्रबंधन न होने के कारण किसानों के फल उत्पादन में भारी गिरावट आई थी, जिस के चलते इस साल संस्थान में पहले से ही किसानों को जागरूक कर के फैरोमैन ट्रैप (Pheromon Trap) का वितरण सुनिश्चित किया था, जिस के अच्छे नतीजे आज देखे जा सकते हैं.

फल मक्खी पके या कच्चे फलों में अंडे देती है, जि ससे फल अंदर से सड़ने लगते हैं. इस कीट का समय पर प्रबंधन न करने पर किसानों को भारी आर्थिक हानि झेलनी पड़ती है. ट्रैप की मदद से बिना कीटनाशक उपयोग किए फल मक्खी की संख्या को प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सकता है.

फैरोमैन ट्रैप की कार्यप्रणाली

इस में मेल ल्यूअर फैरोमैन का प्रयोग किया जाता है, जो नर मक्खियों को आकर्षित करता है. नर मक्खियां आकर्षित हो कर जाल में फंस जाती हैं और मर जाती हैं. नर की संख्या घटने पर प्रजनन चक्र टूटता है और धीरेधीरे फल मक्खी की आबादी कम हो जाती है.

उपयोग की विधि

एक एकड़ में औसतन 10–12 फैरोमैन ट्रैप (Pheromon Trap) लगाने की सलाह दी जाती है. इन को पौधों की छाया वाले स्थानों पर 5–6 फुट की ऊंचाई पर टांगना चाहिए. फैरोमैन ल्यूअर को 2 माह में बदलना आवश्यक है. यह पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित है. रासायनिक कीटनाशकों पर खर्च घटता है. फलों की गुणवत्ता बनी रहती है और अधिक उत्पादन प्राप्त होता है.

किसान का अनुभव

ट्रैप लगाने वाले किसानों ने बताया कि ट्रैप लगाने के बाद विगत वर्ष की अपेक्षा फसल का नुकसान अभी न के बराबर है. किसान अब वास्तविकता में संस्थान द्वारा उपलब्ध कराए गए ट्रैप की मदद से इस वर्ष अच्छा उत्पादन लेने की स्थिति में हैं.

शुभेंद्र भट्ट के अनुसार राम कृष्ण जयदयाल डालमिया सेवा संस्थान हमेशा की तरह किसानों की बेहतरी के लिए निरंतर प्रयासरत है. संस्थान के शस्य वैज्ञानिकों ने इस बार कार्यालय स्तर पर अनुसंधान एवं परीक्षण कर कम लागत में देशी तरीके से तैयार किए जाने वाले ट्रैप्स का विकास किया है. इन ट्रैप्स का निर्माण सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है और अब इन्हें किसानों तक पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. संस्थान के अनुसार इन देशी ट्रैप्स का उपयोग करने से किसानों की लागत लगभग नगण्य रहेगी, जबकि फसलें फल मक्खी जैसे कीटों से सुरक्षित रहेंगी.

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