Agricultural Education : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में पूसा, नई दिल्ली में राष्ट्रीय कृषि छात्र सम्मेलन का वृहद आयोजन किया गया, जिस में देशभर के कृषि छात्रछात्राएं बड़ी संख्या में शामिल हुए, वहीं हजारों विद्यार्थी वर्चुअल भी जुड़े थे. साथ ही, कृषि वैज्ञानिक, प्राध्यापक और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) व कृषि विश्वविद्यालयों के पदाधिकारी भी शामिल हुए और केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी वर्चुअल शामिल हुए.
इस महत्त्वपूर्ण सम्मेलन का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में नवाचार, रिसर्च, आधुनिक तकनीकों व ज्ञान का आदानप्रदान सुनिश्चित करना था. इस में विद्यार्थियों को कृषि विज्ञान के आधुनिक आयाम और सरकार की नीतियों से अवगत कराया गया, वहीं इस मंच के माध्यम से कृषि शिक्षा (Agricultural Education) की गुणवत्ता बढ़ाने, युवा प्रतिभाओं को प्रेरित करने और कृषि में शोधकार्य को गति देने का प्रयास किया गया.
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने संबोधन में इस बात पर चिंता जताई कि कृषि शिक्षा (Agricultural Education) से जुड़े कई पद खाली पड़े हैं. उन्होंने बेहतर कृषि शिक्षा के लिए सभी खाली पद शीघ्र भरने के निर्देश आईसीएआर के महानिदेशक को दिए, साथ ही कहा कि सुचारू कृषि शिक्षा और राज्यों में विश्वविद्यालयों और कालेजों में खाली पड़े सभी पद शीघ्र भरने के लिए वे सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र भी भेजेंगे और वहां के कृषि मंत्रियों से भी चर्चा करेंगे.
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्पष्ट रूप से कहा कि कृषि के छात्रछात्राओं के भविष्य से किसी भी कीमत पर खिलवाड़ नहीं होना चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में बनाई गई नई शिक्षा नीति के अनुरूप देश में कृषि की भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना बहुत आवश्यक है.

शिवराज सिंह चौहान ने कमियों को दूर करने के लिए कृषि विद्यार्थियों की एक टीम बना कर रचनात्मक सुझाव लेने के भी आईसीएआर को निर्देश दिए.
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय और कालेजों की ग्रेडिंग के साथ स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए. दुनिया में हो रहे बेहतर प्रयोगों का अध्ययन कर अपने देश में भी लागू करने के उपाय आईसीएआर करे.
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम ने खेती और गांव मिल कर विकसित कर दिए तो पलायन भी रुकेगा, यह भी देशसेवा है. उन्होंने आगे कहा कि हम आत्मनिर्भर बनें, ताकि किसी भी देश पर हमारी निर्भरता नहीं रहे. विकसित और आत्मनिर्भर भारत, खेती के विकास के बिना नहीं हो सकता. यह भी देखें कि कृषि निर्यात और कैसे बढ़ सकता है. सालभर में कम से कम एक बार कृषि के विद्यार्थियों को किसानों के खेतों पर जाना ही चाहिए, ताकि उन्हें व्यावहारिक ज्ञान मिल सके. किसानों की प्रैक्टिकल प्रौब्लम्स क्या हैं, यह जानने के साथ ही उन का समाधान भी छात्रछात्राएं सोचें. हमें कृषि का पूरा परिदृश्य बदलना है, जिस में कृषि के छात्रछात्राएं भी अपना योगदान दें.
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि के छात्र साधारण जीवन नहीं जिएं, बल्कि एक लक्ष्य तय कर उसे पूरा करने के लिए उद्देश्यपूर्ण जीवन जिएं. जीना उस का जीना है, जो औरों को जीवन देता है.
छात्रों का उत्साह और संवाद
आईसीएआर के कृषि शिक्षा (Agricultural Education) प्रभाग और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में कृषि छात्रों ने अपने अनुभव साझा किए व केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से सीधा संवाद स्थापित किया. विद्यार्थियों ने कृषि क्षेत्र में आ रहे बदलावों, नई तकनीकों व सरकार की नीतियों से जुड़ कर आगे बढ़ने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, वहीं अपनी समस्याएं भी बताईं.
शिवराज सिंह चौहान ने छात्रछात्राओं की बातों को गंभीरता से सुन कर समस्याओं का समुचित समाधान करने की बात कही, वहीं सभी को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं.





