Fruit Nursery : फलों की बागबानी की सफलता व असफलता पूरी तरह से नर्सरी (Fruit Nursery) पर निर्भर करती है, क्योंकि अच्छे या खराब किस्म के पौधे नर्सरी से ही खरीदे जाते हैं.
जब कोई फलों का बाग लगाता है, तो उस की यही ख्वाहिश रहती है कि बाग से उसे अच्छी किस्म के फल मिलें. लेकिन कभी-कभी बागबान की यह उम्मीद बेकार हो जाती है, क्योंकि नर्सरी वाले खराब किस्म के पौधे दे देते हैं. ये पौधे या तो 1 महीने तक सूख जाते हैं या फिर जब वे फलते हैं, तो अच्छे फल न मिलने से बागबान को निराश होना पड़ता है.
अच्छी नर्सरी से पौधे खरीदते समय ध्यान रखें
फलों के पेड़ लंबे समय तक चलते हैं, लिहाजा उनको बहुत ही सावधानी से किसी अच्छी नर्सरी (Fruit Nursery) से ही खरीदना चाहिए. किसी इलाके के फल उद्योग को नर्सरी वाले अच्छा बना सकते हैं या तबाह कर सकते हैं. नर्सरी के लिए सही जगह का चुनाव करना बेहद जरूरी है. नर्सरी में पौधों का क्षेत्र अलग होने के साथ-साथ निम्न बातों का भी खयाल रखना चाहिए –
बीज की क्यारियों की तैयारी और देखभाल
बीज की क्यारियों में बीजों को बोकर पौधे तैयार किए जाते हैं. ये क्यारियां खुले में होनी चाहिए. ये क्यारियां जमीन से कुछ उठी होनी चाहिए ताकि बारिश का पानी निकल सके. क्यारियों की मिट्टी बलुई होनी चाहिए. उसमें अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद पर्याप्त मात्रा में मिला देनी चाहिए.
नर्सरी में विशेष क्रियाएं
नर्सरी (Fruit Nursery) में खाद, पानी व निराई-गुड़ाई पर खास ध्यान दिया जाता है. क्यारियों में अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद डालनी चाहिए और यदि किसी जगह पर खाद की कमी महसूस हो तो उसे फौरन पूरा करना चाहिए. नर्सरी में पानी का सही इंतजाम होना भी जरूरी है. इसके लिए ट्यूबवेल या रहट नर्सरी के आकार के मुताबिक होने चाहिए. पानी की नालियां भी साफ-सुथरी होनी चाहिए, जो पानी की सही मात्रा को क्यारियों तक पहुंचा सकें. नर्सरी को खरपतवार मुक्त रखने के लिए निराई-गुड़ाई का काम बराबर करते रहना चाहिए.
पैकिंग क्षेत्र का सही प्रबंधन
यह नर्सरी (Fruit Nursery) का वह भाग होता है, जहां पर पौधों को बेचने के लिए पैक किया जाता है. यह क्षेत्र भंडारण की जगह के पास ही होना चाहिए. इसमें टोकरी, नामपत्र, घास, रस्सी वगैरह चीजें रखी जाती हैं. भंडारण की जगह के पास ही कार्यालय होना चाहिए, जिसमें पौधों को बेचने, बीजों को खरीदने व नर्सरी के दूसरे खर्चों का लेखा-जोखा होता है.
गमला क्षेत्र – पौधों के लिए आदर्श व्यवस्था
गमला रखने की जगह 3 भागों में बंटी होनी चाहिए. एक भाग हलकी छाया में होना चाहिए, जिसमें वानस्पतिक विधियों द्वारा उत्पन्न पौधों के गमले रखे जाएं. दूसरा भाग खुला हुआ होना चाहिए. इसमें बीजों से उगाए गए पौधों जैसे पपीता, लुकाट, बेल व खिरनी वगैरह के गमले रखे जाने चाहिए. तीसरे भाग में खाली गमले, पत्तियों की खाद और बालू व कंपोस्ट खाद से बना हुआ मिश्रण रखना चाहिए.
गमले वाले पौधों को सींचने के लिए पानी का इंतजाम पास में पक्के बने हुए हौज में होना चाहिए. विभिन्न किस्मों के मिश्रण वहां पर अलग-अलग रखे होने चाहिए, जैसे बीज बोने या कर्तन लगाने के लिए 1 भाग दोमट मिट्टी, 3 भाग पत्ती की खाद व 6 भाग बालू से बना मिश्रण या आम के बीजू पौधों के लिए 2 या 3 भाग दोमट मिट्टी, 2 या 3 भाग सड़ी हुई गोबर की खाद या कंपोस्ट खाद और 1 भाग बालू से बना मिश्रण.
नर्सरी की क्यारियों का रखरखाव
नर्सरी (Fruit Nursery) की क्यारियों में रोपण या गूटी द्वारा उत्पन्न पौधे रहते हैं, ताकि उनकी जड़ें ठीक तरह से विकसित हो जाएं और वृद्धि करने लगें. इस प्रकार की क्यारियां हलकी छाया वाली जगह में होनी चाहिए, ताकि पौधों की तेज धूप, पाले व लू से हिफाजत हो सके. कलमों व कलिकायन के लिए क्यारियां खुली जगह में होनी चाहिए. क्यारियों की मिट्टी बलुई या बलुई दोमट होनी चाहिए और उनमें जल निकास का सही इंतजाम होना चाहिए. इन क्यारियों में सही मात्रा में खाद भी होनी चाहिए. अलग-अलग क्यारियों में पहुंचने के लिए अलग-अलग रास्ते होने चाहिए.
पैतृक पेड़ और स्वस्थ पौधों का चयन
नर्सरी (Fruit Nursery) से लगा हुआ क्षेत्र उन फलों के पेड़ों का होना चाहिए, जिनसे शाखाएं या कलिकाएं लेनी होती हैं. पैतृक पेड़ों में फलों की अच्छी जातियां होनी चाहिए और वे पूरी तरह स्वस्थ होने चाहिए. शाखा या कली ऐसे पेड़ों से ही लेनी चाहिए, जो खूब फल देते हों और रोगों व कीड़ों से मुक्त हों. तमाम फलों के पेड़ों की अच्छी जातियां ही होनी चाहिए





