Babycorn : आजकल बेबीकार्न की डब्बाबंदी करके इसका बेमौसम इस्तेमाल मुमकिन है. इसके अलावा बेबीकार्न का सलाद, सूप, सब्जी, हलवा, बर्फी, लड्डू, बिस्कुट, जैम, मुरब्बा, अचार वगैरह व्यंजनों में इस्तेमाल करके और उनके दाम बढ़ाकर किसान अधिक आमदनी कर सकते हैं.
कैसे करें प्रसंस्करण
अगर प्रसंस्करण की सुविधा हो तो बेबीकार्न को तोड़ने वाले दिन ही छिलका हटाकर 200 ग्राम, आधा किलोग्राम या 1 किलोग्राम के पैक बना कर ठंडे स्थानों में संग्रहित करना चाहिए. छिलका रहित बेबीकार्न का ढेर नहीं बनाना चाहिए. बेबीकार्न को रंग व आकार के अनुसार अलग-अलग श्रेणी में रखकर प्लास्टिक के थैलों में पैक करना चाहिए. बेबीकार्न को खराब होने से बचाने के लिए उसकी कैनिंग, निर्जलीकरण या प्रशीतन विधि से डब्बाबंदी करनी चाहिए. इस से बेबीकार्न को काफी समय तक रखा जा सकता है तथा दूर-दूर के स्थानों पर भी भेजा जा सकता है.
कम समय में अधिक आमदनी
यह फसल दिसंबर व जनवरी के महीनों के अलावा पूरे साल उगाई जा सकती है, पूरे साल किसानों को नकद आमदनी हो सकती है. यह फसल 50-65 दिनों में उत्पादन देकर भरपूर आमदनी देती है. भुट्टों के अलावा इसके हरे चारे से भी काफी आमदनी हो जाती है.
मिलता है रोजगार
इसकी खेती से ग्रामीण रोजगार के मौके पूरे साल बने रहते हैं. इसकी जुताई, बोआई, तोड़ाई, पैकिंग व प्रसंस्करण वगैरह कामों से युवकों तथा महिलाओं को रोजगार मिलने के मौके प्राप्त होते हैं.
पशुओं के लिए उत्तम चारा
बेबीकार्न के रूप में भुट्टा कच्चा रहता है और कम समय में तैयार भुट्टा पौधे से पूरे पोषक तत्त्व नहीं ले पाता है, जितना कि सामान्य मक्के का भुट्टा खींचता है. लिहाजा, बेबीकार्न का बचा चारा उच्च पोषक तत्त्व व उच्च गुणवत्ता वाला होता है. इस चारे से पशुओं में दुग्ध उत्पादन बढ़ने और अधिक तंदुरुस्त रहने से किसानों को अतिरिक्त आमदनी हो जाती है और अलग से चारा उगाने वाली जमीन का दूसरी फसलों में इस्तेमाल हो जाता है.
अंत:फसल से अधिक मुनाफा
बेबीकार्न के साथ मूंग, उड़द, गेंदा, ग्लेडियोलस, आलू व भिंडी वगैरह फसलें उगाकर अतिरिक्त आमदनी मुमकिन है. मार्च-अप्रैल में बोई जाने वाली गन्ने की फसल में भी बेबीकार्न को अंत:फसल के रूप में भी उगाया जा सकता है.
विदेश से कमाई का जरिया
अभी हमारे देश में बेबीकार्न का थाइलैंड, ताइवान वगैरह देशों से आयात किया जाता है. इसकी उपज बढ़ाकर हम विदेशी मुद्रा अर्जित करने का अवसर प्राप्त कर सकते हैं. अंतर्राष्ट्रीय बाजार की मांग को ध्यान में रखकर इसे बड़े पैमाने पर उगाने की जरूरत है.





