World Rabies Day: ‘विश्व रेबीज दिवस’ के अवसर पर लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय हिसार में जागरूकता को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी विश्वविद्यालय ने समाज को इस घातक रोग के प्रति सतर्क करने के लिए कई रचनात्मक गतिविधियां आयोजित कीं.

इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित थीम थी, ‘अभी कार्य करें : आप, मैं, समुदाय’, जो इस बात पर बल देती है कि रेबीज (Rabies) जैसे रोग को समाप्त करने के लिए हर व्यक्ति, संस्था और समुदाय को सक्रिय भूमिका निभानी होगी.

इसी कड़ी में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डा. विनोद कुमार वर्मा द्वारा आमजन की जानकारी हेतु विशेष रूप से तैयार की गई ‘रेबीज जागरूकता मार्गदर्शिका’ का लोकार्पण किया गया. इस दौरान विस्तार शिक्षा निदेशक डा. राजेश खुराना, पशुचिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता डा. गुलशन नारंग और क्षेत्रीय निदेशक, हरियाणा पशु विज्ञान केंद्र डा. आनंद कुमार पांडेय सहित अन्य गणमान्यजन उपस्थित रहे.

कुलपति ने मार्गदर्शिका के महत्त्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह सभी आयुवर्ग के लोगों, बच्चों से ले कर बुजुर्गों तक के लिए बेहद उपयोगी है. उन्होंने कहा कि रेबीज (Rabies) एक ऐसा रोग है, जिस की मृत्युदर 100 फीसदी है, पर समय रहते रोकथाम से इसे पूरी तरह टाला जा सकता है. इस के लिए जागरूकता ही सब से बड़ा अस्त्र है. विश्वविद्यालय का यह प्रयास समाज में इस गंभीर रोग को ले कर सकारात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में एक सराहनीय कदम है.

इस मार्गदर्शिका को विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों डा. ज्योति शुंठवाल, डा. देवेंद्र सिंह, डा. आनंद कुमार पांडेय और डा. सुजौय खन्ना द्वारा तैयार किया गया है. इसे इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि आम जनता, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग, इसे आसानी से समझ सकें. इस में रेबीज (Rabies) से संबंधित सभी महत्त्वपूर्ण जानकारी सरल भाषा और आकर्षक चित्रों के माध्यम से प्रस्तुत की गई है.

मार्गदर्शिका में यह बताया गया है कि कुत्ते या अन्य जानवर के काटने पर क्या करना चाहिए, पशुओं में रेबीज (Rabies) के कौनकौन से सामान्य लक्षण होते हैं, पालतू पशुओं को इस संक्रमण से कैसे बचाया जा सकता है और साथ ही इस में आम जनता में प्रचलित भ्रांतियों जैसे कि ‘घाव पर मिर्च या हलदी लगाना’ जैसी गलत आदतों का खंडन भी किया गया है.

विश्वविद्यालय में रेबीज (Rabies) के प्रति जन जागरूकता बढ़ाने और रोकथाम को बढ़ावा देने हेतु एक सप्ताहव्यापी कार्यक्रमों की श्रृंखला में छात्रों, इंटर्न्स, फैकल्टी सदस्यों एवं वैज्ञानिकों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया. इन कार्यक्रमों में निशुल्क टीकाकरण अभियान, विश्वविद्यालय के इंटर्न्स एवं छात्रों ने परिसर के छात्रावासों और आसपास के क्षेत्रों में जा कर पालतू और आवारा कुत्तों के लिए नि:शुल्क रेबीज रोधी टीकाकरण अभियान चलाया. इस पहल से स्थानीय समुदाय में सुरक्षा की भावना और विश्वास दोनों बढ़े.

जागरूकता अभियान (पशु चिकित्सालय परिसर)

पशु चिकित्सालय परिसर में छात्रों द्वारा पोस्टर, हैंडबिल्स व संवाद सत्रों के माध्यम से आमजन को रेबीज के लक्षण, उपचार और बचाव के विषय में जागरूक किया गया.

ईपोस्टर प्रतियोगिता (पशु चिकित्सालय फैकल्टी द्वारा)

पशु चिकित्सालय फैकल्टी की ओर से आयोजित ईपोस्टर प्रतियोगिता में छात्रों ने अपनी रचनात्मकता और विषय की समझ का परिचय देते हुए प्रभावशाली पोस्टर प्रस्तुत किए गए, स्कूलों में व्याख्यान पशु चिकित्सा जनस्वास्थ्य एवं महामारी विज्ञान विभाग द्वारा विभाग के विशेषज्ञों द्वारा आसपास के स्कूलों में जा कर छात्रों को रेबीज (Rabies) की जानकारी दी. इस दौरान बच्चों ने उत्साह से भाग लिया और विशेषज्ञों से सवाल पूछ कर अपनी जिज्ञासाएं दूर कीं.

विशेषज्ञों द्वारा छात्रों के लिए रेबीज के दुष्प्रभावों व बचाव पर आधारित शौर्ट फिल्मों का प्रदर्शन किया गया, जिस से उन्हें सरल व रोचक ढंग से आवश्यक जानकारी प्राप्त हुई.

इस दौरान लुवास विश्वविद्यालय के आउटस्टेशनों (महेंद्रगढ़, नारनौल, झज्जर, रोहतक, सोनीपत, करनाल, सिरसा, गुरुग्राम एवं भिवानी ) पर कार्यरत पशुचिकित्सक वैज्ञानिकों ने भी अपनेअपने स्तर पर जागरूकता अभियान व नि:शुल्क टीकाकरण शिविरों का आयोजन किया.

हरियाणा पशु विज्ञान केंद्रों एवं संबद्ध संस्थानों के माध्यम से स्थानीय समुदायों, किसानों और पशुपालकों को रेबीज से संबंधित जानकारी दी गई तथा पालतू और आवारा पशुओं का नि:शुल्क टीकाकरण भी किया गया. यह पहल राज्यभर में रेबीज नियंत्रण की दिशा में विश्वविद्यालय की सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाती है.

विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने इस अवसर पर बताया कि रेबीज एक 100 फीसदी घातक है, लेकिन 100 फीसदी रोकथाम योग्य रोग है. कुत्ते या अन्य जानवर के काटने की स्थिति में घाव को तुरंत साबुन और पानी से धोना और समय पर टीकाकरण इस रोग से बचने के सर्वोत्तम उपाय हैं.

पालतू पशुओं का नियमित टीकाकरण और आवारा पशुओं में रेबीज (Rabies) नियंत्रण हेतु सामूहिक प्रयास अनिवार्य हैं. समाज में व्याप्त भ्रांतियों का निराकरण और सही जानकारी का प्रसार ही इस रोग की रोकथाम की दिशा में पहला और सब से महत्वपूर्ण कदम है और लुवास विश्वविद्यालय रेबीज के उन्मूलन हेतु शोध, शिक्षा, जनसंपर्क और सामाजिक जागरूकता के माध्यम से निरंतर कार्य करता रहेगा.

यह प्रयास न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बल्कि मानवीय दृष्टि से भी समाज को एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करने की दिशा में उठाया गया एक महत्त्वपूर्ण और सराहनीय कदम है.

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