हमारे देश में पशुपालन खेती के मददगार रोजगार के रूप में पनप रहा है, लेकिन पिछले कुछ सालों से दूध की बढ़ती कीमतों से अच्छा मुनाफा होने पर बेरोजगार नौजवान भी इसे व्यवसाय के रूप में अपनाने लगे हैं. यह एक ऐसा काम है, जिस में अनुभवी, मेहनती और लगनशील व्यक्ति अच्छाखासा मुनाफा कमा सकता है.

गांवदेहात में कम कीमत पर कम उम्र के पशु मिल जाते हैं, जिन के पालनपोषण का यदि खास ध्यान रखा जाए तो वह अच्छे दुधारू पशु बन सकते हैं.

सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार गाय व भैंस के बच्चा जनने के पहले व बाद में देखभाल पर कुछ सुझाव दिए गए हैं, जिन पर पशुपालकों को ध्यान देना चाहिए:

* गाय या भैंस का औसत गाभिन काल 282 और 310 दिन होता है.

* गाभिन पशु को अपने शरीर की जरूरत और गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए पोषक तत्त्वों की जरूरत होती है. यदि पशुओं को पोषक तत्त्व सही खुराक में नहीं मिले तो बच्चा कमजोर होगा, साथ ही पशु अगले ब्यांत में भी दूध कम देगा.

* पशु के ब्याने के 2 माह पहले से पशु के ब्याने तक पोषक तत्त्वों की खुराक बढ़ानी चाहिए. इस जरूरत को पूरा करने के लिए पहले से खिलाई जा रही खुराक के अलावा या तो 1 किलोग्राम दाना मिश्रण या 10 से 15 किलोग्राम हरा या मुलायम रसदार चारे के साथ थोड़ी मात्रा में सूखा चारा मिला कर की जा सकती है.

* गाभिन पशु को चोट लगने और दूसरे पशुओं से सुरक्षित बचा कर रखना चाहिए. हो सके तो गाभिन पशुओं को दूसरे पशुओं से अलग रखना चाहिए.

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