देश की बढ़ती आबादी और घटती खेती की जमीनें खाद्यान्न संकट बढ़ाने की ओर अग्रसर है. ऐसे में बेरोजगारी व भुखमरी दोनों के बढ़ने के आसार हैं. इस स्थिति में मत्स्यपालन का व्यवसाय न केवल रोजगार का अच्छा साधन साबित होता है, बल्कि खाद्यान्न समस्या के एक विकल्प के तौर पर भी अच्छा साबित हो सकता है.

देश में दिनोंदिन मछली खाने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है, इसलिए मछली की मांग में तेजी से उछाल आया है. ऐसे में अगर बेरोजगार युवा और किसान मछलीपालन का व्यवसाय वैज्ञानिक तरीके से करें, तो न केवल कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकता है, बल्कि देश के एक छोटे से हिस्से का पेट भरने में अपना महत्वपूर्ण योगदान भी दे सकता है.

मछलीपालन के लिए मुफीद प्रजातियों व उस में अपनाई जाने वाली पालन विधि पर यहां रोशनी डाली जा रही है.

Fish

तालाब का चयन

मछलीपालन के इच्छुक लोगों को सब से पहले मछलीपालन के लिए तालाब का चयन करना पड़ता है, इस के लिए ग्राम पंचायतों, नगरपालिकाओं द्वारा संरक्षित तालाबों को पट्टे पर ले कर पालन शुरू किया जा सकता है और दूसरा, जिन के पास एक बीघा से 2 हेक्टेयर तक जमीन उपलब्ध है. वह तालाब की खुदाई करवा कर मछलीपालन का व्यवसाय शुरू कर सकते हैं.

तालाब का चयन करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि तालाब में वर्षभर 1-2 मीटर पानी जरूर भरा रहे. इस के लिए तालाब में जलापूर्ति का साधन अवश्य रखना चाहिए.

तालाब में मछली के बच्चे डालने से पूर्व यह सुनिश्चित कर लेना जरूरी होता है कि तालाब बाढ़ प्रभावित न हो और न ही उस के किनारे के बंधे कटेफटे हो.

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