किसानों के लिए अतिरिक्त आमदनी और बेरोजगार लोगों किए मुर्गी पालन एक मुनाफेदार कारोबार साबित हो सकता है. इस काम को किसान खेती के साथसाथ भी कर सकते हैं और बेरोजगार लोग अपना धंधा शुरू करने के लिए लघु उद्योगों के रूप में इसे लगा सकते हैं.

बेरोजगारों की कतार में खड़े हो कर हवा में हाथ-पांव मारते रहने से बेहतर है अपना कोई कारोबार शुरू करना. अपना धंधा शुरू करने के लिए लघु उद्योगों के कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां मेहनत का वाजिब फायदा मिल सकता है. इन्हीं में से एक कारोबार है मुर्गी पालन. यह कारोबार करके काफी मुनाफा कमाया जा सकता है. पेश हैं, मुर्गी पालन से संबंधित खास जानकारियां –

घर से भी हो सकती है मुर्गी पालन की शुरुआत

मुर्गी पालन के लिए कम से कम 300 वर्गफुट जगह होनी चाहिए. यह मकान की छत या खुली जमीन भी हो सकती है. चुनी गई जगह पर लोहे की जाली लगाकर मुर्गीखाना बनाया जाता है, जिसमें रोशनी व हवा के आने-जाने का माकूल बंदोबस्त होना जरूरी है. मुर्गीयों के घर की छत के लिए प्लाई, फूस या एस्बेस्टस की चादरों का इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए अगर आपके पास इस काम के लिए अलग जगह नहीं है तो काम की शुरुआत घर से भी की जा सकती है. इसके लिए खुली छत का होना जरूरी है.

क्या तैयारी है जरूरी, कैसे करें शुरुआत

जहां आप मुर्गी फार्म बनाना चाहते हैं यह पहले मन में तय कर लें. वहां की पूरी जगह को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट दिया जाता है. नीचे यानी फर्श पर धान, सरसों की भूसी, लकड़ी का बुरादा व मूंगफली के छिलके वगैरह डाल दिए जाते हैं. इस के बाद फार्म में चूजे यानी मुरगी के छोटे बच्चे रखे जाते हैं. उनके लिए खाने व पानी का बंदोबस्त किया जाता है. सर्दियों में ज्यादा पावर के बल्ब जलाकर व गरमियों में पंखे चलाकर तापमान को संतुलित रखा जाता है. अमूमन 30 से 40 दिनों में चूजे एक-डेढ़ किलोग्राम के हो जाते हैं, तब इनको बेचना शुरू किया जा सकता है.

सावधानी जरूरी, तापमान का रखें ध्यान

मुर्गा – मुर्गी बेहद कमजोर होते हैं. इनमें रोग प्रतिरोधक कूवत कम होने की वजह से बीमारी की हालत में जल्दी ही इनकी मौत हो जाती है. इनमें महामारी भी बहुत जल्दी फैलती है, इसलिए इनके पालन में बहुत ज्यादा सावधानी की जरूरत होती है.

चूजे आने से 12 घंटे पहले तापमान सेट करने के लिए मुरगीखाने में लगाया ब्रूडर चालू कर देना चाहिए, ताकि तापमान ठीक रहे. पहले दिन तापमान 35 डिगरी सेंटीग्रेड होना चाहिए. फिर धीरे-धीरे तापमान कम किया जाता है.

शुरुआती दिनों की सावधानी

मुर्गी पालन में पहले 3 हफ्तों तक तापमान का खास ध्यान रखना होगा. चूजों अगर ठीक तापमान में होंगे, तो वे सब तरफ बराबरी से खेलते-खाते नजर आएंगे. कम तापमान में वे एक जगह इकट्ठा हो जाते हैं. इस बात से आपको अंदाजा भी लग सकेगा कि आपको तापमान उनके लिए सही है या नहीं.

दाना-पानी का इंतजाम कैसे करें

Poultry Farming

पानी का इंतजाम शुरू से ही होना चाहिए. पानी के बरतन को प्लेटफार्म पर रखा जाता है और उसकी रोज सफाई भी करनी चाहिए. दाना खाने के बरतनों को कभी आधे से ज्यादा नहीं भरना चाहिए. केवल उतना ही दाना चूजों को दें, जितना वे खा सकें. दाने को बरबाद होने से बचाएं, क्योंकि मुर्गी पालन में सब से ज्यादा खर्च दाने पर ही आता है.

आहार यानी दाना कई तरह का होता है. दाना अच्छी क्वालिटी का ही लेना चाहिए. दाना लेते समय प्रोटीन, कैलोरी, कैल्शियम, फास्फोरस व अमीनो एसिड की मात्रा का भी ध्यान रखना चाहिए. इसके अलावा आहार में विटामिन व मिनरल भी ठीक मात्रा में होने चाहिए.आहार पूरी मात्रा में खिलाना चाहिए, तभी मुरगे का वजन ठीक होगा.

कितने दिनों में बिक्री लायक हो जाते हैं मुर्गा

अगर चूज़े स्वस्थ हैं और उन्हें संतुलित मात्रा में दाना-पानी मिलता रहा है तो 35 दिनों में एक मुर्गा
का वजन तकरीबन डेढ़ किलोग्राम होना चाहिए. इन 35 दिनों में डेढ़ किलोग्राम वजन का मुर्गा
तकरीबन 1.75 किलोग्राम दाना खा जाता है.

समय पर टीकाकरण जरूरी

मुर्गा-मुर्गी का समय – समय पर टीकाकरण करते रहना बहुत जरूरी है. वैक्सीन को फ्रिज में तय तापमान में रखना चाहिए और तय समय के बाद वैक्सीन इस्तेमाल में नहीं लेना चाहिए. साथ ही वैक्सीन देने का पूरा लेखा-जोखा रखना चाहिए, क्योंकि मुर्गियों में बीमारी होने का भी खतरा होता है, इसलिए समय पर उनका टीकाकरण बीमारियों से बचाव करेगा.

कुछ खास बातों का रखें ध्यान

मुर्गियों को शुरू के 24 घंटे में उजाले में रखना चाहिए. उसके लिए 60 वॉट का बल्ब प्रति 200 वर्गफुट के हिसाब से लगाना चाहिए. 21 दिनों के बाद 25 वॉट के बल्ब का इस्तेमाल करना चाहिए. मुर्गी फार्महाउस में ताजा व खुली हवा का पूरा इंतजाम होना चाहिए. अकसर हवा – पानी का ठीक तरह से इंतजाम नहीं होने से चूजों का वजन कम हो जाता है और उनमें बीमारियां बढ़ जाती हैं. नतीजतन उनकी मौतें होने लगती है, इसलिए मुर्गी फार्महाउस की सफाई पर बहुत ध्यान देना चाहिए. फर्श की सफाई के बाद नई बिछावन का इस्तेमाल करना चाहिए.

फार्महाउस का कचरा है जैविक खाद, करें कमाई

मुर्गी पालन की साफ – सफाई के बाद जो कचरा दाना उनका मल आदि जो निकलता है , वह भी जैविक खाद का काम करता है और खेती में पैदावार बढ़ाने के काम आता है, इसलिए जो किसान अपनी खेती के साथ इस काम को कर रहे हैं उनके लिए यह अतिरिक्त मुनाफा है. अन्य लोग इसे बेचकर भी लाभ ले सकते हैं.

किन-किन से बचाव करें

फार्महाउस को चूहों, नेवलों, कुत्तों, बिल्लियों व दूसरे जंगली जानवरों से बचाने का पूरा इंतजाम करना चाहिए. बीमार मुर्गा-मुर्गी को बाकी मुर्गा-मुर्गीयों से अलग रखना चाहिए. अन्यथा मुर्गियों की बीमारी महामारी का भी रूप ले सकती है.

वैज्ञानिकों से प्रशिक्षण लेना है जरूरी

मुर्गी पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से जिला स्तर पर सरकारी संस्थानों, कृषि विज्ञान केंद्रों में 2 हफ्ते का प्रशिक्षण दिया जाता है. इस में मुर्गे – मुर्गियों की पूरी देखभाल और बीमारी से बचाव की विस्तार से जानकारी दी जाती है.
प्रशिक्षण के बाद प्रमाणपत्र भी दिया जाता है, जिस के आधार पर सरकारी योजनाओं के तहत कर्ज लेने में सहूलियत रहती है. इसके अलावा अनेक प्राइवेट संस्थान या अन्य मुर्गी पालकों से भी ट्रेनिंग ले सकते हैं.

आसान है बाजार, मार्किट में है भारी खपत

तैयार मुर्गे की खपत का काम बहुत ज्यादा कठिन नहीं है. किसी भी शहर में मुर्गे बिकने के स्टॉल या मंडी होते हैं, जहां संपर्क बनाने से माल की खपत हो जाती है. तैयार माल को आसपास के बड़े शहरों में आसानी से बेचा जा सकता है. अगर आप के पास साधन है या कोई और जरिया है तो आप अपने नजदीक के बड़े शहर में जाकर भी मुर्गा मंडी में इनको बेचकर उचित दाम ले सकते हैं.
इसके अलावा शादी – ब्याह व पार्टियों में बिक्री के लिए, आसपास के होटल मालिकों से भी संपर्क किया जा सकता है, जहां आप रेगुलर तौर पर अपनी सप्लाई दे सकते हैं.

कहां करें यह कारोबार

इस कारोबार को शहरों के निकटवर्ती गांवों में भी आसानी से शुरू किया जा सकता है, जहां जगह व मजदूर सस्ती दरों पर मिल जाते हैं. इस कारोबार की खासीयत यह है कि जितनी जगह व लागत ज्यादा होगी, उतने ही ज्यादा मुर्गे – मुर्गियों का पालन किया जा सकता है.

यदि बाजार में मांग ज्यादा है, तो चूजे का दाना बढ़ा कर उसे जल्दी तैयार किया जा सकता है. कम मांग रहने पर दाने की मात्रा घटा सकते हैं. 2 से 3 लाख रुपए लगाकर यह कारोबार शुरू करने पर हर महीने 40 से 50 हजार रुपए आसानी से कमाए जा सकते हैं.

मुर्गी पालन एक ऐसा कारोबार है जिसे खेती के साथ भी किया जा सकता है और अलग से भी आसानी से किया जा सकता है. इस कारोबार से आप अपने साथ-साथ अन्य लोगों को भी रोजगार देकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, इसलिए जरूरी है कि इस काम को शुरू करने से पहले आप मुर्गी पालन की ट्रेनिंग जरूर लें, जिससे आपका यह कारोबार कभी भी घाटे का सौदा नहीं बनेगा और आप अच्छी आमदनी कर सकेंगे.

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