दूध को ज्यादा समय तक सुरक्षित रखने, गंदे व असुरक्षित दूध को पीने से होने वाली बीमारियों से लोगों को बचाने व ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए दूध का उत्पादन साफ तरीकों से करना बहुत जरूरी है.

दूध में भोजन के सभी जरूरी तत्त्व जैसे प्रोटीन, शक्कर, वसा, खनिजलवण, विटामिन वगैरह उचित मात्रा में पाए जाते हैं, जो लोगों की सेहत और बढ़ोतरी के लिए बहुत जरूरी होते हैं, इसीलिए दूध को एक संपूर्ण आहार कहा गया है.

लेकिन दूध में जीवाणुओं की बढ़ोतरी होते ही दूध जल्दी खराब होने लगता है. इसे ज्यादा समय तक साधारण दशा में सुरक्षित नहीं रखा जा सकता है. कुछ दूसरे हानिकारक जीवाणु दूध के जरीए दूध पीने वालों में कई तरह की बीमारियां पैदा कर देते हैं, इसलिए दूध को ज्यादा समय तक सुरक्षित रखने, गंदे व असुरक्षित दूध को पीने से होने वाली बीमारियों से लोगों को बचाने व ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए दूध का उत्पादन साफ तरीकों से करना बहुत जरूरी है.

अगर भारत जैसे देश की बात करें तो यहां की दूध की क्वालिटी बहुत अच्छी नहीं है. दूध की क्वालिटी पर असर डालने वाले जीवाणुओं की तादाद की बात करें तो प्रति मिलीलिटर कच्चे दूध में इन की तकरीबन 2 लाख से 10 लाख के बीच तादाद होती है, जबकि विदेशों में अच्छे से प्रबंधन करने के चलते इन की तादाद प्रति मिलीलिटर 30,000 से ज्यादा नहीं होती.

अगर हम पैकेटबंद दूध की बात करें तो इस में भी तादाद प्रति मिलीलिटर 30,000 से ज्यादा नहीं होती. इन हालात को देखते हुए हम कह सकते हैं कि हमारे देश में पशुपालक दूध की क्वालिटी पर इतना ध्यान नहीं देते.

दूध में 2 तरह की गंदगियां पाई जाती हैं

* आंख से दिखाई देने वाली गंदगियां, जैसे गोबर के कण, घासफूस के तिनके, बाल, धूल के कण, मच्छरमक्खियां वगैरह. इन्हें साफ कपड़े या छलनी से छान कर अलग किया जा सकता है.

* आंख से न दिखाई देने वाली गंदगियां. इस के तहत सूक्ष्म आकार वाले जीवाणु आते हैं, जो केवल सूक्ष्मदर्शी यंत्र द्वारा ही देखे जा सकते है. इन्हें नष्ट करने के लिए दूध को गरम करना पड़ता है. दूध को लंबे समय तक रखना हो तो इसे ठंडा कर के रखना चाहिए.

इन गंदगियों के 2 स्रोत हैं

* जानवरों के अयन से : थनों के अंदर से पाए जाने वाले जीवाणु.

* बाहरी वातावरण से.

* जानवर के बाहरी शरीर से.

* जानवर के बंधने वाली जगह से.

* दूध के बरतनों से.

* दूध दुहने वाले ग्वाले से.

* दूसरे साधनों जैसे मच्छरमक्खियों, गोबर व धूल के कणों, बालों वगैरह से.

हमारे देश में जो दूध उत्पादन हो रहा है, वह ज्यादातर गांवों में या शहर की निजी डेरियों में ही उत्पादित किया जा रहा है, जहां सफाई पर ध्यान न देने के चलते दूध में जीवाणुओं की तादाद बहुत ज्यादा होती है और दिखाई देने वाली गंदगियां जो नहीं होनी चाहिए, भी मौजूद रहती हैं. इस के मुख्य कारण ये हैं :

* पशुओं को दुहने से पहले ठीक से सफाई न करना.

* पशुओं को दुहने वाले के हाथ व कपड़े साफ न होना.

* गांवों व शहरों में गंदी जगहों पर दूध निकालना.

* गंदे बरतनों में दूध निकालना व रखना.

* गाय के बच्चे को थन से दूध का पिलाना.

* दूध दुहने वाले का बीमार होना.

* दूध बेचने ले जाते समय पत्तियों, भूसे व कागज वगैरह से ढकना.

* देश की जलवायु का गरम होना.

* गंदे पदार्थों से दूध का अपमिश्रण करना.

साफ दूध का उत्पादन सेहत व ज्यादा मुनाफे के लिए जरूरी है, इसलिए ऐसे दूध का उत्पादन करते समय इन बातों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है :

दूध देने वाले पशु से संबंधित सावधानियां

* दूध देने वाला पशु पूरी तरह सेहतमंद होना चाहिए. उसे टीबी, थनैला वगैरह बीमारियां नहीं होनी चाहिए. पशुओं की जांच समयसमय पर पशु चिकित्सक से कराते रहना चाहिए.

* दूध दुहने से पहले पशु के शरीर की अच्छी तरह सफाई कर लेना चाहिए. दुहने से पहले पशु के शरीर पर चिपके हुए गोबर, धूल, कीचड़, घास वगैरह साफ कर लेना चाहिए. खासतौर से पशु के शरीर के पीछे वाले हिस्से, पेट, अयन, पूंछ व पेट के निचले हिस्से की सफाई करनी चाहिए.

* दुहने से पहले अयन की सफाई पर खास ध्यान देना चाहिए व थनों को किसी जीवाणु नाशक के घोल के भीगे हुए कपड़े से पोंछ लेना चाहिए.

* अगर किसी थन में कोई बीमारी हो तो उस से दूध नहीं निकालना चाहिए.

* दुहने से पहले दूर थन की 2-4 दूध की धारें जमीन पर गिरा देनी चाहिए या अलग बरतन में इकट्ठा करनी चाहिए.

दूध देने वाले पशु के बांधने की जगह

* पशु बांधने का व खड़े होने की जगह पूरी होनी चाहिए.

* फर्श पक्का हो. अगर पक्का फर्श नहीं हो तो कच्चा फर्श समतल हो. उस में गड्ढे वगैरह न हों, जिस से पेशाब व पानी बह जाए.

* दूध दुहने से पहले पशु के चारों ओर सफाई कर देनी चाहिए, गोबर, पेशाब हटा देना चाहिए. यदि बिछावन बिछाया गया हो तो दुहने से पहले उसे हटा देना चाहिए.

* दूध निकालने वाली जगह की दीवारें, छत वगैरह साफ होनी चाहिए. उन की समयसमय पर चूने से पुताई करवाते रहना चाहिए और फर्श की फिनाइल से धुलाई 2 घंटे पहले कर लेनी चाहिए.

दूध के बरतन से संबंधित सावधानियां

* दूध दुहने का बरतन साफ होना चाहिए. उस की सफाई पर खास ध्यान दिया जाना चाहिए. दूध के बरतन को पहले ठंडे पानी से, फिर सोडा या दूसरे जीवाणु नाशक रसायन से मिले गरम पानी से, फिर सादे खौलते हुए पानी से धो कर धूप में सुखा लेना चाहिए.

* साफ किए हुए बरतन पर मच्छरमक्खियों को नहीं बैठने देना चाहिए और  कुत्ता बिल्ली उसे जूठा न कर सकें.

* दूध दुहने के बरतन का मुंह चौड़ा व सीधा और ऊपर की तरफ खुलने वाला नहीं होना चाहिए, क्योंकि इस से मिट्टी, धूल, गोबर वगैरह के कण व घासफूस के तिनके, बाल वगैरह सीधे दुहाई के समय बरतन में गिर जाएंगे इसलिए बरतन संकरे मुंह वाला हो और मुंह थोड़ा टेढ़ा होना चाहिए.

दूध दुहने वाले शख्स से संबंधित सावधानियां

* दूध दुहने वाला आदमी या औरत सेहतमंद होना चाहिए. उसे किसी तरह की कोई बीमारी न हो.

* उस के हाथों के नाखून कटे होने चाहिए और दुहाई से पहले हाथों को अच्छी तरह से साबुन से धो लेना चाहिए.

* ग्वाले या दूध दुहने वाले आदमी के कपड़े साफ होने चाहिए और सिर कपड़े से ढका हो.

* दूध निकालते समय सिर खुजलाना व बात करना, तंबाकू खा कर थूकना, छींकना, खांसना वगैरह गंदी आदतें नहीं होनी चाहिए.

दूसरी सावधानियां

* पशुओं को चारा, दाना, दुहाई के समय नहीं देना चाहिए, बल्कि पहले या बाद में दें.

* दूध में मच्छर मक्खियों का प्रवेश रोकना चाहिए.

* ठंडा करने से यानी 4-7 डिगरी सैंटीग्रेड तापमान पर रखने से दूध में पाए जाने वाले जीवाणुओं की बढ़ोतरी रुक जाती है.

* दूध को कभी भी बिना गरम हुए इस्तेमाल में नहीं लाना चाहिए.

इन बातों पर अगर किसान भाई ध्यान दे तो स्वच्छ दूध का उत्पादन कर ज्यादा मुनाफा कमा सकतें हैं.

अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के पशु वैज्ञानिक से संपर्क करें.

इस मशीन से गाय और भैंस दोनों का दूध निकाला जा सकता है

गाय और भैंस के थनों की बनावट में थोड़ा फर्क होता है, इसलिए गाय का दूध दुहने वाली मशीन में थोड़ा सा बदलाव कर के इस मशीन से ही भैंस का दूध भी निकाला जा सकता है. भैंस का दूध निकालने के लिए मशीन का प्रैशर बढ़ाना होता है. डेरी डद्योग के लिए पशुपालक किसानों को सरकार अनुदान भी दे रही है. यह अनुदान पिछले दिनों तक केवल अनुसूचित जाति के लोगों को ही मिलता था, जो 33.33 फीसदी था. लेकिन अब सभी वर्ग के लोग इस अनुदान का लाभ ले सकते हैं.

मशीन से दूध निकालने की शुरुआत डेनमार्क और नीदरलैंड से हुई और आज यह तकनीक दुनियाभर के लोगों द्वारा इस्तेमाल की जा रही है. आजकल डेरी उद्योग से जुड़े अनेक लोग पशुओं से दूध उत्पादन मशीन के द्वारा ले रहे हैं.

पशुओं का दूध दुहने वाली मशीन को हम मिल्किंग मशीन के नाम से भी जानते हैं. इस मशीन से दुधारू पशुओं का दूध बड़ी ही आसानी से निकाला जा सकता है. इस से पशुओं के थनों को कोई नुकसान नहीं होता है. इस से दूध की गुणवत्ता बनी रहती है और उस के उत्पादन में बढ़ोतरी होती है. यह मशीन थनों की मालिश भी करती और दूध निकालती है. इस मशीन से पशु को वैसा ही महसूस होता है, जैसे वह अपने बच्चे को दूध पिला रही हो.

मिल्किंग मशीन से दूध निकालने से लागत के साथसाथ समय की भी बचत होती है और दूध में किसी तरह की गंदगी नहीं आती. इस से तिनके, बाल, गोबर और पेशाब के छींटों से बचाव होता है. पशुपालक के दूध निकालते समय उन के खांसने व छींकने से भी दूध का बचाव होता है. दूध मशीन के जरीए दूध सीधा थनों से बंद डब्बों में ही इकट्ठा होता है.

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