चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के डाक्टर जीसी नेगी पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय के पशु जनस्वास्थ्य एवं जानपदिक विज्ञान विभाग के विशेषज्ञों ने शोध में सर्वे करते हुए ऐसी बीमारियों को जाना है, जो पशुओं से इनसानों में न केवल प्रवेश कर उन्हें संक्रमित कर सकती हैं, बल्कि जानलेवा भी बन जाती है.

तपेदिक, रैबीज, ब्रुसेलोसिस, स्क्रब टाईफस,लिपटो सेरा, टोक्सो प्लाजमा, डिपथेरिया, टोक्सो कैराकैनी जैसी कुछ ऐसी बीमारियां हैं, जो पशुओं से मनुष्यों में भी पाई जाती हैं. इन बीमारियों से संक्रमित होने पर मनुष्य अपने साथ दूसरों को भी इस की चपेट में ले लेता है. इन से बचने के लिए मनुष्यों को जहां पर्याप्त सावधानी बरतते हुए खानपान में भी विशेष ध्यान रखना पड़ेगा.

दुधारू पशुओं से होने वाली बीमारियों में तपेदिक प्रमुख है. यह बीमारी पीड़ित पशुओं के दूध, त्वचा और संपर्क में आने से होती है. ग्रामीण क्षेत्रों में यह बीमारी अधिक होती है, क्योंकि पशुओं के साथ मनुष्य अधिक संपर्क में रहते हुए उन के साथ ही रहता है. ऐसी ही बीमारी रैबीज है, जो कुत्तों व बिल्लियों से संक्रमित होती हैं. यह इतनी घातक है कि मनुष्य के लिए जानलेवा भी हो जाती है.

टोक्सो कैराकैनी, टोक्सो प्लाज्मा, डिप्थेरिया भी कुत्तेबिल्लियों से होने वाली अन्य बीमारियां हैं. इस में संक्रमित पशुओं से विषाणुओं के छोटेछोटे अंडे पैरों और बालों के माध्यम से पहुंच कर मनुष्य को बीमार करते हैं.

दुधारू पशुओं में ब्रुसेलोसिस रोग भी मनुष्यों को संक्रमित करता है. पीड़ित पशुओं को छूने से और संपर्क में आने से यह मनुष्यों में होता है. इस के अतिरिक्त दुधारू पशुओं और अन्य जानवरों को जब दवाओं को दिया जाता है तो उस के बाद भी उन के उत्पादों को त्वरित प्रयोग में नहीं लाया जाना चाहिए. इन दवाओं के कारण मनुष्यों पर भी उस का विपरीत प्रभाव पड़ता है. लिहाजा, इन दवाओं के प्रयोग के बाद दूध, मांस और अंडे आदि को 48 घंटे से ले कर 28 दिन तक प्रयोग नहीं करने की सलाह पशु चिकित्सा से जुड़े विशेषज्ञ देते हैं.

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