वर्तमान में जरूरत से ज्यादा गरम मौसम और तेज हवाओं का प्रभाव पशुओं की सामान्य दिनचर्या को प्रभावित करता है. भीषण गरमी की स्थिति में पशुओं को सुरक्षित रखने के लिए विशेष प्रबंधन और उपायों, जिन में ठंडा व छायादार पशु आवास, साफ पीने का पानी आदि पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है.

तेज गरमी से बचाव प्रबंधन में जरा सी लापरवाही से पशु को ‘लू’ लग सकती है. ‘लू’ से ग्रस्त पशु को तेज बुखार हो जाता है और पशु सुस्त हो कर खानापीना बंद कर देता है. शुरू में पशु की सांस गति या नाड़ी की गति तेज हो जाती है. कभीकभी नाक से खून भी बहने लगता है.

पशुपालक के समय पर ध्यान न देने से पशु की सांस गति धीरेधीरे कम होने लगती है व पशु चक्कर खा कर बेहोशी की दशा में ही मर जाता है.

पशुओं के लिए पक्के पशु आवास की छत पर सूखी घास या कडबी रखें, ताकि छत को गरम होने से रोका जा सके.

पशु आवास की कमी में पशुओं को छायादार पेड़ों के नीचे बांधें. पशु आवास में गरम हवाओं को सीधा न आने दें. इस के लिए लकड़ी के फट्टे या बोरी के टाट को गीला कर दें, जिस से पशु आवास में ठंडक बनी रहे. पशु आवास में आवश्यकता से अधिक पशुओं को न बांधें और रात में पशुओं को खुले स्थान पर बांधें.

गरमी के मौसम में पशुओं को हरा चारा अधिक खाने को दें. पशु इसे बड़े ही चाव से खाते हैं और हरे चारे में 70-90 फीसदी पानी की मात्रा होती है, जो समयसमय पर पशु के शरीर को पानी की आपूर्ति भी करता है.

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