नई दिल्ली : पशुपालन और डेयरी विभाग ने आजादी का अमृत महोत्सव के भाग के रूप में कौमन सर्विस सेंटर (सीएससी) नेटवर्क के माध्यम से पशुजन्य रोग पर एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया. सीएससी नेटवर्क के माध्यम से जुड़े देशभर के डेढ़ लाख से अधिक किसानों ने जागरूकता कार्यक्रम में भाग लिया.
पशुपालन और डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय ने इस अवसर पर किसानों को संबोधित किया और पशुजन्य बीमारी से जुड़े जोखिमों और पशुधन क्षेत्र और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर इस के प्रभाव पर जोर दिया.
उन्होंने कहा कि विभाग राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनएडीसीपी) लागू कर रहा है, जो दो प्रमुख प्रचलित पशुजन्य रोग के नियंत्रण के लिए सितंबर, 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई एक प्रमुख योजना है. एफएमडी के लिए 100 फीसदी भैंस, भेड़, बकरी और सूअर और 4-8 महीने की 100 फीसदी गोजातीय बछड़ी को खुरपकामुंहपका रोग और ब्रुसेलोसिस का टीका लगा रहा है.
विभाग एंथ्रेक्स और रेबीज जैसी पशुजन्य बीमारियों के खिलाफ टीकाकरण और 'आकस्मिक और विदेशी बीमारियों के नियंत्रण' के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की सहायता भी कर रहा है. सामाजिक व आर्थिक नुकसान को कम करने के लिए विभाग रोग के निदान, उपचार, छोटी सर्जरी और बीमार जानवरों की देखभाल और प्रबंधन आदि में जागरूकता के लिए मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (एमवीयूएस) के माध्यम से किसानों के दरवाजे पर पशु चिकित्सा सेवा प्रदान कर रहा है.
पशुपालन और डेयरी सचिव ने दोहराया कि पशुपालन और डेयरी विभाग किसानों के घरों पर गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान करने और पशु रोगों के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान को कम करने के लिए बेहतर पशु चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता/पहुंच बढ़ाने की खातिर सभी हितधारकों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है.