गेंदा की खेती खरीफ, रबी और जायद तीनों मौसम में की जाती है. पूर्वांचल में गेंदा की खेती की काफी संभावनाएं हैं. बस, यह ध्यान रखना है कि कब कौन सा त्योहार है, शादी के लग्न कब हैं, धार्मिक आयोजन कबकब होना है, इस को ध्यान में रख कर खेती की जाए, तो ज्यादा लाभदायक होगा.

गेंदा के औषधीय गुण भी हैं, खुजली, दिनाय और फोड़ा में हरी पत्ती का रस लगाने पर रोगाणुरोधी का काम करती है. साधारण कटने पर पत्तियों को मसल कर लगाने से खून का बहना बंद हो जाता है.

मिट्टी एवं खेत की तैयारी : गेंदा की खेती के लिए दोमट, मटियार दोमट एवं बलुआर दोमट मिट्टी सर्वोत्तम होती है. भूमि को समतल करने के बाद एक बार मिट्टी पलटने वाले हल से और 2-3 बार देशी हल या कल्टीवेटर से जुताई कर के एवं पाटा चला कर मिट्टी को भुरभुरा बनाने एवं ककंड़पत्थर आदि को चुन कर बाहर निकाल दें और सुविधानुसार उचित आकार की क्यारियां बना दें.

बीज, नर्सरी, प्रसारण : गेंदा का प्रसारण बीज एवं कटिंग दोनों विधि से होता है. इस के लिए 100 ग्राम बीज प्रति बीघा (2500 वर्गमीटर / एक हेक्टेयर का चौथाई भाग) में जरूरत होती है ,जो 100 वर्गमीटर के बीज शैया में तैयार किया जाता है. बीज शैया में बीज की गहराई एक सैंटीमीटर से अधिक नहीं होना चाहिए.

जब कटिंग द्वारा गेंदा का प्रसारण किया जाता है, उस में ध्यान रखना चाहिए कि हमेशा कटिंग नए स्वस्थ पौध से ही लें, जिस में मात्र 1-2 फूल खिला हो, कटिंग का आकार 4 इंच (10 सैंटीमीटर) लंबा होना चाहिए. इस कटिंग पर रूटेक्स लगा कर बालू से भरे ट्रे में लगाना चाहिए. 20-22 दिन बाद इसे खेत में रोपाई करनी चाहिए.

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