भारत में केले की फसल महाराष्ट्र में बहुतायत की जाती है, लेकिन कुछ सालों से इस का रकबा देश के सभी राज्यों में बढ़ता जा रहा है. देश में केले की खेती तकरीबन 4.9 लाख हेक्टेयर में होती है.
केले में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्त्व पाए जाते हैं. इस फल को गरीबों का फल भी कहा जाता है. अगर ठीक तरीके से केला बोया जाए तो किसान सालभर में काफी फायदा उठा सकते हैं.
कहने में तो यह बहुत आसान लगता है कि इस की खेती से बहुत सारे किसान लाखों रुपए तक कमा रहे हैं. यह ठीक भी है, लेकिन इस तरह की कमाई के लिए वैज्ञानिक तकनीक से खेती करनी चाहिए वरना आमदनी के बजाय घाटा होना तय है.
केला ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है, लेकिन इस में थोड़ा चूकने पर नुकसान की आशंका बनी रहती है. इसलिए जरूरी है कि अच्छी पौध होने के साथसाथ फसल सुरक्षा का पूरा ध्यान रखें.
किसी भी फसल से ज्यादा उत्पादन आप तभी ले सकते हैं, जब अच्छी क्वालिटी के बीज हों, समय पर सिंचाई का इंतजाम हो और जो भी जरूरी काम हो, समय पर पूरे किए जाएं.
अच्छी क्वालिटी का केला हासिल करने के लिए यह जरूरी है कि केले की पौध से ले कर फल कटने तक छोटीबड़ी जानकारी हो और तकनीकी पहलुओं को सही तरीके से आजमाया जाए.
खास बात यह भी है कि अगर हम फसल सुरक्षा को ध्यान में रख कर केले की खेती करें तो लागत में कमी आएगी और मुनाफा ज्यादा हो सकेगा.
जमीन का उपचार
* बिवेरिया बेसियान को 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 250 क्विंटल गोबर की सड़ी खाद में मिला कर जमीन में इस्तेमाल करें. अगर खेत में निमेटोड यानी सूत्रकृमि की समस्या है तो पेसिलोमाइसी यानी जैविक फफूंद की 5 किलोग्राम मात्रा को गोबर की सड़ी खाद में मिला कर करें.