बीते दशक में किसान जहां एक तरफ मौसम की मार से हलकान हैं, तो वहीं दूसरी तरफ सरकार के उदासीन रवैए ने तोड़ कर रख दिया है. ऐसे में खाद व बीज की किल्लत, खेती में बढ़ती लागत व घाटे की खेती से उबरने के लिए किसानों को कुछ ऐसा करना होगा, जिस से उन की माली हालत में सुधार हो, बल्कि वह खेती के घाटे से उबर पाने में सक्षम हो.

किसान नकदी फसल के रूप में अगर शहतूत की नर्सरी तैयार करें और खेती की तरफ कदम बढ़ाएं, तो वे अपने हालात को सुधार सकते हैं. शहतूत की पत्तियों से कीटपालन करने के इच्छुक किसान रोजगार के बेहतर अवसर ले सकते हैं. रेशम कीटपालन करने वालों को शहतूत की पत्तियों की जरूरत पड़ती है. किसान शहतूत की खेती कर कीट पालें, तो वे ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं.

रेशम कीटपालन के व्यवसाय में 50 फीसदी खर्च पत्तियों पर ही हो जाता है, जिस पर रेशम कीट का जीवनचक्र चलता है. इसी जीवनचक्र में ये कीट रेशम के कोए को बनाते हैं. रेशम का कोया 300 से 400 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से आसानी से बेचा जा सकता है.

शहतूत की नर्सरी तैयार करना

हम सभी जानते हैं कि पेड़पौधे लगाने के लिए हमें स्वस्थ पौधों पर आश्रित रहना होता है और हम एक अच्छी नर्सरी से ही अच्छा पौधा प्राप्त कर सकते हैं. शहतूत के पौधे को तैयार करने की अनेक विधियां हैं :

- बीज द्वारा

- ग्राफ्टिंग द्वारा

- लेयरिंग द्वारा

- कटिंग द्वारा

कम लागत में उच्च गुणवत्ता के पौधे कटिंग विधि से ही तैयार किए जाते हैं. उन्नत किस्म के शहतूत की कटिंग तैयार करने के लिए 6 से 9 महीने पुरानी टहनियों को काट लेते हैं और उन टहनियों को छाया में रखते हैं, जिस से कि सूखने न पाएं. फिर टहनियों को 6-8 इंच लंबी 45 डिगरी त्रिकोण पर तेज धार के चाकू या सिकटियर से काट लेते हैं, जिस से सिरे पर टहनियों का छिलका न निकलने पाए.

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