औषधीय गुणों से भरपूर फल आंवला में विटामिन सी के अलावा कैल्शियम, फास्फोरस और पोटैशियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. इस के फलों की प्रोसैसिंग कर के अनेक तरह के खाद्य पदार्थ जैसे मुरब्बा, कैंडी, अचार, जैम, जूस आदि बनाए जाते हैं. इस के अलावा अनेक दवाओं में भी आंवले का इस्तेमाल होता है.

आज के समय में आंवला की खेती किसानों के लिए बेहतर आमदनी का जरीया बन सकती है. जरूरी है कि आंवला की खेती वैज्ञानिक तरीकों से करें साथ ही, इन में होने वाली कीट और रोग से भी फसल को बचाएं.

आप को आंवला के पौधे में लगने वाले प्रमुख कीट और रोगों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जा रही है :

चूर्णी बग कीट

इस कीट के शरीर पर मोम जैसा चूर्ण लगा होता है और पिछले भाग से 2 लंबे तंतु निकले होते हैं, जो मोम जैसे पदार्थ से ढके रहते हैं. शरीर के पिछले भाग पर काले रंग का धब्बा पाया जाता है.

नर कीट पंखदार या पंखरहित दोनों होते हैं.  इस के शिशु व प्रौढ़ मादा दोनों मुलायम टहनियों, पत्तियों, छोटे फलों का रस चूस कर नुकसान पहुंचाती हैं. शुष्क मौसम व सूखे के हालात में इस का प्रकोप ज्यादा होता है. रोगग्रस्त पत्तियां पीली पड़ कर सूख जाती हैं. पौधों का विकास रुक जाता है. फूल सूख जाते हैं और फल बड़े होने के पहले ही गिर जाते हैं. टहनियां मुरझाई हुईं और बीमारी से ग्रस्त दिखाई देती हैं.

प्रबंधन

गरमी (मईजून माह) के दिनों में पेड़ के चारों तरफ 1 मीटर की लंबाई में खेत की मिट्टी की अच्छी तरह से गुड़ाई करनी चाहिए, ताकि दिए हुए अंडे ऊपर आने पर नष्ट किए जा सकें.

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