वसंतकालीन व शरदकालीन पेड़ी गन्ने की फसल खेतों में लगी हुई है. गन्ने की फसल में कई तरह के कीटों के लगने का खतरा रहता है, जो पूरी फसल को बरबाद कर सकते हैं. इन से बचने के लिए किसानों को सब से पहले तो बोआई के समय ही कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिस से कीट न लगें. लेकिन फिर भी अगर कीट लग जाते हैं, तो उस के लिए किसानों को उचित कीटनाशक का इस्तेमाल करना चाहिए.

गन्ने की खेती करने वाले किसानों को इस समय खास ध्यान देने की जरूरत है. गन्ने में मुख्य रूप से इस समय कीटों का प्रकोप हो सकता है, जिन की पहचान और नुकसान के लक्षण जानेंगे, तभी सही प्रबंधन कर पाएंगे.

दीमक : यह कीट बोआई से ले कर कटाई तक फसल की किसी भी अवस्था में लग सकता है. दीमक पेड़ी गन्ने के कटे सिरों, पेड़ी की आंखों, किल्लों, जड़ से तना तक गन्ने को काट देता है और कटे स्थान पर मिट्टी भर देता है.

प्रबंधन : दीमक की रोकथाम के लिए बावेरिया बेसियाना 2 किलोग्राम 500 लिटर पानी में घोल कर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना चाहिए. इस के अलावा जिस खेत में दीमक का प्रकोप हो, उस में समुचित सिंचाई कर के भी दीमक को कम किया जा सकता है.

अंकुर बेधक : यह कीट गन्ने के किल्लों को प्रभावित करता है. इस कीट का प्रकोप गरमी के महीनों (मार्च से जून महीने तक) में अधिक होता है. प्रभावित पौधे की पहचान मृतसार का पाया जाना ऊपर से दूसरी या तीसरी पत्ती के मध्य सिरा पर लालधारी का पाया जाना है.

प्रबंधन : अंडों को इकट्ठा कर के नष्ट कर देना चाहिए. प्रभावित पौधों को पतली खुरपी से लार्वा/प्यूपा सहित काट कर निकाल कर चारे में प्रयोग करना या उसे नष्ट कर देना चाहिए.

पायरिला : यह कीट हलके से भूरे रंग का 10-12 मिलीलिटर लंबा होता है. इस का सिर लंबा व चोंचनुमा होता है. इस के शिशु और वयस्क गन्ने की पत्ती से रस चूस कर नुकसान  पहुंचाते हैं. इस का प्रकोप अप्रैल से अक्तूबर महीने तक पाया जाता है.

शल्क : गन्ने की पोरियों से रस चूसने वाला यह एक हानिकारक कीट है. इस के शिशु हलके पीले रंग के होते हैं, जो थोड़े समय में गन्ने की पोरियों पर चिपक जाते हैं. गतिहीन सदस्यों का रंग पहले राख की तरह भूरा होता है, जो धीरेधीरे काला हो जाता है. मछली के शल्क की तरह ये कीट गन्ने की पोरियों पर चिपके रहते हैं.

प्रबंधन : प्रभावित क्षेत्रों से अप्रभावित क्षेत्रों में बीज किसी भी दशा में वितरित नहीं करना चाहिए. जहां तक मुमकिन हो, ग्रसित खेतों की पेड़ी न ली जाए.

ग्रासहौपर : इस के निम्फ और वयस्क गन्ने की पत्तियों को जून से सितंबर महीने तक काट कर नुकसान पहुंचाते हैं.

प्रबंधन : रोकथाम के लिए मेड़ों की छंटाई और घासफूस की सफाई करें.

विशेष प्रबंधन

* सभी बेधक कीटों के लिए 4 लाइट फैरोमौन ट्रेप प्रति एकड़ की दर से खेत में लगाएं.

* नीम औयल/अजादिरैक्टीन 2.5 लिटर को 500 लिटर पानी में घोल कर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें.

* पीली/नीली स्टिकी ट्रेप 20 प्रति एकड़ में लगाएं.

* कैमिकल कीटनाशकों का इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर ही करें.

जनपद के जिला गन्ना अधिकारी/कृषि रक्षा अधिकारी/क्षेत्रीय गन्ना सहायक से भी तकनीकी जानकारी ले सकते हैं.

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