Healthy Soil : उम्दा क्वालिटी और भरपूर उपज पाने के लिए अच्छे बीज, अच्छी खाद, सही तरीके से सिंचाई और किसानों की मेहनत और पूंजी ही काफी नहीं है. मिट्टी की जांच कर के उस का उपचार करने से ही किसान अच्छी उपज पा सकते हैं. मिट्टी की जांच और उस के उपचार की जानकारी ज्यादातर किसानों को नहीं है. कुछ किसानों से बातचीत करने के बाद यही नतीजा निकला कि उन्हें मिट्टी के बारे में जानकारी ही नहीं है. बिहार के कटिहार जिले के समैली गांव के किसान अजय कुमार को तो पता ही नहीं है कि आदमी और जानवर की तरह मिट्टी की हेल्थ की भी जांच होती है और मिट्टी भी कमजोर या बीमार हो सकती है. वे बस इतना ही जानते हैं कि खाद और पानी डालने से मिट्टी की ताकत बढ़ती है और फसल अच्छी होती है.
आज किसानों को यह जानना व समझना जरूरी हो गया है कि अगर मिट्टी स्वस्थ नहीं रहेगी तो खेती की तमाम नई तकनीकें, मेहनत और पूंजी बेकार हो सकती है. देश के ज्यादातर इलाकों में ज्यादा फसलों के उत्पादन, रासायनिक खादों के ज्यादा इस्तेमाल और कीटनाशकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से मिट्टी के स्वास्थ्य और उस की उर्वरा ताकत दोनों को काफी नुकसान हो रहा है, जिस का बुरा असर फसलों के उत्पादन पर पड़ने लगा है. लंबे समय तक अच्छी और ज्यादा उपज पाने के लिए समयसमय पर मिट्टी की हेल्थ की जांच कराना बेहद जरूरी है.
मिट्टी की वास्तविक स्थिति की जानकारी के बगैर किसान अधिक खाद का इस्तेमाल करते हैं, जिस से खेती की लागत बढ़ जाती है. जब तक जमीन स्वस्थ नहीं रहेगी तब तक खेतों में हरियाली नहीं आ सकती है. इस के लिए हर किसान को अपने खेतों की मिट्टी के बारे में जानकारी रखना जरूरी है.
मिट्टी 2 तरह की होती है यानी अम्लीय और क्षारीय. क्षारीय (ऊसर) मिट्टी 3 तरह की होती है यानी क्षारीय, लवणीय और लवणयुक्त क्षारीय. मिट्टी की हेल्थ की समयसमय पर जांच करवा कर जांच रिपोर्ट के अनुसार उस का उपचार कर के फसलों की पैदावार और मुनाफे में कई गुना ज्यादा इजाफा कर सकते हैं.
कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि समयसमय पर मिट्टी की जांच करा कर उपचार के बाद उस में फसल उपजाने के बाद बेहतर नतीजे सामने आते हैं. अगर किसी खेत की मिट्टी में अम्ल की मात्रा बहुत ज्यादा हो जाए तो उसे अम्लीय मिट्टी कहते हैं और उस को चूने से सुधारा जा सकता है. प्रति हेक्टेयर 2 से 3 टन चूना डाल कर अम्लीय मिट्टी को दुरुस्त किया जा सकता है. मिट्टी जांच रिपोर्ट के अनुसार ही चूने का इस्तेमाल करना चाहिए. लवणीय मिट्टी को सुधारने के लिए खेत से पानी को निकालने की व्यवस्था मजबूत बनानी होगी. मेंड़ को ऊंचा कर के पानी को मिट्टी में लगा रहने दें. इस से मिट्टी में लगा लवण घुल जाएगा. उस के बाद उस पानी को नाली के जरीए बाहर निकाल देने से मिट्टी ताकतवर हो जाती है और उस के बाद उस में फसल उगाने से अच्छी पैदावार मिलती है.
यदि किसी खेत की मिट्टी में क्षारीयता आ जाती है, तो उसे ठीक करने के लिए पानी की निकासी को ठीक करने के साथ उस में जिप्सम, गंधकीय प्रेसमड (चीनी मिल का फालतू पदार्थ), कंपोस्ट, पाइराइट वगैरह डालने की जरूरत पड़ती है. किस खेत की मिट्टी में कितना मिट्टी सुधारक डालना है, यह प्रयोगशाला में मिट्टी की जांच के बाद ही तय किया जा सकता है.
औसतन प्रति हेक्टेयर 50 क्विंटल प्रेसमड या 300 क्विंटल कंपोस्ट की जरूरत होती है. बरसात से पहले मिट्टी जांच रिपोर्ट के आधार पर खेत में पाइराइट या जिप्सम को छिड़क कर पाटा चला देना चाहिए. 1 हफ्ते तक हलकी नमी रखने के बाद खेत में ज्यादा मात्रा में पानी डालना चाहिए, इस से मिट्टी की क्षारीयता काफी हद तक कम हो जाती है और उस में फसल लगाने से किसानों को उन की मेहनत और पूंजी का अच्छा नतीजा मिलता है.
‘मिट्टी बिहार’ ऐप
बिहार में किसान किसी भी वसुधा केंद्र से अपने खेत की मिट्टी की संरचना की पूरी जानकारी हासिल कर सकेंगे. किसान के पास अगर स्मार्ट फोन हो तो उस से भी मिट्टी के बारे में पूरी जानकारी पता की जा सकेगी. किसानों को मिट्टी से जुड़ी तमाम जानकारी ‘मिट्टी बिहार’ एप्लीकेशन के जरीए मिल सकेगी. किसान इस एप्लीकेशन को गूगल के जरीए डाउनलोड भी कर सकेंगे.