भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में पानी की कमी के चलते खेती पर खतरा मंडराता जा रहा है. वजह, पानी का संकट तो है ही, वहीं जलवायु परिवर्तन भी अहम कारक है. पानी के बिना फसल न ले पाना भी किसानों के लिए एक बडी समस्या है. एक तरफ जहां लोग भुखमरी, कुपोषण और गरीबी से जूझ रहे हैं, वहीं किसान भी अपनी खेती की समस्याओं से दोचार हो रहे हैं. बाजार में उन्हें वाजिब कीमत न मिल पाना भी बहुत बड़ी परेशानी है.

संयुक्त राष्ट्र की थीम, जल ही जीवन है, जल ही भोजन है, कोई वंचित न रहे. पर सूखे खेतों और पानी के संकट को देख आम लोगों के साथसाथ किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं. पानी का उपयोग आम आदमी पीने के अलावा किसान अपने खेतों में भी करता है. पानी नहीं तो खेत में पैदावार कैसे होगी, चिंता का सबब है.

दुनियाभर के 48 देशों के तकरीबन 23.8 करोड़ लोग गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं. इन में से 3 करोड़ लोग भुखमरी के हालात से जूझ रहे हैं. वहीं दूसरी ओर जलवायु परिवर्तन के कारण गरम मौसम, सूखा, बाढ़़, पानी की समस्याओं से भी जूझ रहे हैं. इस से खाद्य सुरक्षा पर संकट मंडराने लगा है.

संयुक्त राष्ट्र संघ के तमाम संगठनों ने दुनियाभर में भुखमरी से निबटने के जो प्रयास किए हैं, नाकाफी हैं. भूखे पेट सोने वालों की तादाद में इजाफा हुआ है. खेती को सुधारने की बातें भी हो रही हैं और उत्पादन को भी बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. इतना ही नहीं, किसानों के साथसाथ कृषि वैज्ञानिक भी अपनेअपने खेती के क्षेत्र में काफी काम कर रहे हैं और किसानों को करने के लिए प्रोत्साहित भी कर रहे हैं. वे किसानों को आधुनिक खेती की ओर मोड़ कर अधिक उत्पादन पर जोर दे रहे हैं.

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