खरीफ फसलों में धान उत्तर प्रदेश की प्रमुख फसल है. प्रदेश में चावल की औसत उपज में वृद्धि हो रही है.

इसी कड़ी में प्रदेश और  देश में खुशबूदार (खुशबूदार चावल) की मांग भी काफी बढ़ रही है.

पूर्वांचल के जिलों में काला नमक धान की खेती की अलग ही पहचान है. इस की क्वालिटी के चलते बाजार भाव भी ज्यादा रहता है.

पहले की प्रचलित काला नमक की प्रजातियों में कुछ समस्याएं जैसे उपज का कम होना, ज्यादा समयावधि, पौधों की लंबाई ज्यादा होने के चलते गिर जाना और ज्यादा पानी की जरूरत के चलते इस प्रजाति का क्षेत्रफल लगातार घटता गया.

लेकिन काला नमक के खास गुणों के चलते भारतीय कृषि वैज्ञानिकों के लगातार शोध के बाद काला नमक की ज्यादा पैदावार वाली काला नमक 101, काला नमक 102 व काला नमक 103 किस्में बौनी, खुशबूदार व ज्यादा उपज देने वाली प्रजातियां विकसित की गई हैं. इन की खेती कर किसान ज्यादा मुनाफा उठा सकते हैं.

इन प्रजातियों में कई ऐसी खूबियां हैं, जो न केवल स्वाद में अच्छी मानी जा रही हैं, बल्कि ये कुपोषण को दूर करने में सब से ज्यादा मुफीद भी मानी जा रही हैं. इन प्रजातियों में निम्नलिखित खूबियां हैं :

*    इन में दूसरे चावल की तुलना में आयरन 29.9 फीसदी व जिंक 31.1 फीसदी पाया जाता है, जो दूसरी सभी खुशबूदार प्रजातियों से सब से ज्यादा है.

*    इन के चावल में कुपोषण से लड़ने की ताकत ज्यादा होती है.

*    दाना काला, सफेद व बहुत ज्यादा खुशबूदार होता है

*    पैदावार पुराने काला नमक से डेढ गुना ज्यादा होती है.

*    20 अक्तूबर महीने के करीब बाली आती हैं और फसल नवंबर महीने के आखिर तक तैयार हो जाती है.

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