करी पत्ता या मीठा नीम भारतीय उपमहाद्वीप का औषधीय पौधा है. इसे गंधेला या काढ़ी नीम के नाम से भी जाना जाता है. भारत के अलावा यह पड़ोसी देशों जैसे पाकिस्तान, बंगलादेश, म्यांमार, इंडोनेशिया, थाईलैंड, दक्षिण अफ्रीका तक प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.

भारत में सिक्किम, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश में करी पत्ते का पेड़ लगाया जाता है. करी पत्ते की मनमोहक सुगंध व औषधीय गुणों के कारण दक्षिण भारत के तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश व कर्नाटक में इस की उपज ली जाती है. इस की पत्तियों और चूर्ण को विदेशों में भेजा जाता है. इस की सुगंधित पत्तियों का सब से बड़ा उत्पादक व उपभोक्ता भारत है.

करी पत्ते का पौधा एक बड़ी झाड़ी या छोटे पेड़ के रूप में होता है. इस के चारों ओर अनेक शाखाएं निकलती हैं और उन से टहनियां धीरेधीरे बड़ी होती हैं, जिन पर पत्तियां एकांतर रूप से लगती हैं. पत्तियां गहरे हरे रंग की व चिकनी होती हैं. इस के पत्ते नीम के पत्ते की तरह होते हैं जो हजारों सालों से हमारे भोजन का अभिन्न अंग रहे हैं.

करी पत्तों का इस्तेमाल शाकाहारी और मांसाहारी भोजन का स्वाद बढ़ाने में अहम भूमिका अदा करता है. इस के पत्तों से तेल भी निकाला जाता है. इस में सेनिजिन नामक तत्त्व पाया जाता है. तेल से ताजा मसाले की सुगंध आती है और उस का स्वाद लौंग जैसा होता है. इस के फूलों से भी तेल निकाला जाता है, जिस में यूरेविन नामक तत्त्व पाया जाता है.

जलवायु : करी पत्ता उष्ण कटिबंधीय जलवायु वाला पौधा है. इस के सकल उत्पादन के लिए 26-27 डिगरी सैल्सियस तापमान की जरूरत होती है. इस के अधिक तापमान वाले क्षेत्रों में उगाने पर इस की बढ़वार और उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है. दक्षिण भारत के अलावा इसे उत्तर भारत में भी उगाया जा सकता है.

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