पौध सूत्रकृमि, जड़गांठ अथवा निमेटोड बहुत महीन सांप जैसा जीव है. इन्हें नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता. ये अधिकतर मिट्टी में रह कर जड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं. इन के मुंह में एक सूई के आकार का अंग स्टाइलेट होता है, जिस की मदद से ये पौधों की जड़ों का रस चूसते हैं. इस वजह से पौधे जमीन से खादपानी पूरी मात्रा में नहीं ले पाते हैं और इन की बढ़वार रुक जाती है.

सब्जियों पर जड़गांठ यानी निमेटोड का हमला कुछ ज्यादा ही देखा गया है. सब्जियों में यह एक खास किस्म की बीमारी पैदा कर देते हैं. इस बीमारी के कारण पौधों की जड़ों में गांठें बन जाती हैं. निमेटोड द्वारा किया गया नुकसान इन की तादाद पर निर्भर करता है.

भारत में सब्जियों की औसतन पैदावार में इस निमेटोड हमले से तकरीबन 10-15 फीसदी का नुकसान होता है. खेत में निमेटोड के पहले से मौजूद होने के कारण फसल में जब जड़ों की बढ़वार होने लगती है, तब ये जड़ों में घुस कर जड़ों को गांठों में बदल देते हैं.

सब्जियों में जड़गांठ यानी निमेटोड की 2 प्रजातियां मिलाइडोगाइनी जावनिका व मिलाइडोगाइनी इनकोगनीटा खासतौर से पाई जाती हैं. जड़गांठ गरमी और खरीफ मौसम में ज्यादा सक्रिय रहता है और उगाई जाने वाली फसलों को ज्यादा नुकसान पहुंचाता है.

निमेटोड दूसरे रोगाणुओं, जीवाणुओं, फफूंद, विषाणुओं द्वारा किए जाने वाले नुकसान को और ज्यादा बढ़ा देते हैं. सब्जियों की अच्छी पैदावार लेने के लिए इन की पहचान और रोकथाम करना बहुत जरूरी है.

जीवनचक्र अपनाएं

जड़गांठ यानी निमेटोड की एक मादा निमेटोड 250-400 अंडे देती है. जड़गांठ से लार्वा बच्चे निकल कर पौधों की जड़ों में घुस जाते हैं. ये वहीं पर खाते और बढ़ते रहते हैं. इस के नर सांप के आकार व मादा सुराही के आकार की होती है. इस की मादा नर के बिना ही बच्चा पैदा करने की कूवत रखती है.

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