नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए फसली वर्ष 2023-24 में अफीम पोस्त की खेती के संबंध में लाइसेंस की वार्षिक लाइसेंसिंग नीति की घोषणा की है. इस नीति में शामिल सामान्य शर्तों के अनुसार इन राज्यों में लगभग 1.12 लाख किसानों को लाइसेंस दिए जाने की संभावना है. इस में पिछले फसल वर्ष की तुलना में 27,000 अतिरिक्त किसान शामिल हैं. इस लाइसेंस को प्राप्त करने वाले लगभग 54,500 योग्य अफीम किसान मध्य प्रदेश से हैं. वहीं, राजस्थान के लगभग 47,000 और उत्तर प्रदेश के 10,500 किसान हैं. यह आंकड़ा साल 2014-15 को समाप्त होने वाली पांच साल की अवधि के दौरान लाइसेंस दिए गए किसानों की औसत संख्या का लगभग 2.5 गुना है.

यह बढ़ोतरी घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शारीरिक दर्द कम करने संबंधी देखभाल और अन्य चिकित्सा उद्देश्यों के लिए औषध (फार्मास्युटिकल) तैयारियों की बढ़ती मांग को पूरा करने के उद्देश्य से की गई है. साथ ही, इस से यह भी सुनिश्चित होगा कि अल्केलाइड उत्पादन घरेलू मांग के साथसाथ भारतीय निर्यात उद्योग की जरूरतों को भी पूरा कर सके.

इस वार्षिक लाइसेंस नीति की मुख्य विशेषताओं में पहले की तरह यह प्रावधान शामिल है कि वैसे मौजूदा अफीम किसान, जिन्होंने मार्फिन (एमक्यूवाई-एम) की औसत उपज 4.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के बराबर या उस से अधिक की है, उन के लाइसेंस को जारी रखा जाएगा. इस के अलावा अन्य मौजूदा अफीम गोंद की खेती करने वाले किसान, जिन्होंने मार्फिन सामग्री उपज (3.0 किलोग्राम से 4.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर) के साथ गोंद की खेती की है, अब केवल 5 साल की लाइसेंस वैधता के साथ कंसेंट्रेटेड पौपी (पोस्त) स्ट्रा खसखस या भूसा) (सीपीएस) आधारित विधि के लिए योग्य होंगे.

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