रबी की सब्जियों में मुख्य रूप से गोभीवर्गीय में फूलगोभी, पत्तागोभी, गांठगोभी, सोलेनेसीवर्गीय में  टमाटर, बैगन, मिर्च, आलू, पत्तावर्गीय में धनिया, मेथी, सोया, पालक, जड़वर्गीय में मूली, गाजर, शलजम, चुकंदर एवं मसाला में लहसुन, प्याज आदि की खेती की जाती है.

इन सब्जियों में हानिकारक कीटों का प्रकोप फसल की ठीक से देखभाल न करने से होती है. आज सब्जियों में अंधाधुंध कीटनाशकों का प्रयोग सब्जी उत्पादक कर रहे हैं. किसीकिसी सब्जी की फसल पर 7-12 बार कीटनाशी का छिड़काव करते पाया गया है. सब्जी फसलों में कीटनाशक रसायनों का प्रयोग इन के कुल उपयोग का 13-14 फीसदी (तकरीबन 0.678 ग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर) है.

ऐसे में जरूरत से अधिक रसायनों का प्रयोग सेहत के लिए हानिकारक साबित हो रहा है. बिना कीटनाशकों के भी कृषि क्रियाएं ए्वं जैविक विधि से कीटों का प्रबंधन किया जा सकता है. इस के लिए कीटों के प्रकोप की पहचान, प्रबंधन की समुचित विधियों की जानकारी होना आवश्यक है.

गोभीवर्गीय सब्जियों में कीट एवं प्रबंधन:
माहू:
यह कीट गोभी के पत्तों पर हजारों की संख्या में चिपके रहते हैं. यह हलके पीले रंग के होते हैं. व्यस्क कीट पंखदार एवं पंखरहित दोनों प्रकार के पाए जाते हैं. यह हमेशा चूर्णी मोम से ढके रहते हैं, जो इन के हरे रंग को छिपाए रखती है.

इस कीट के शिशु व प्रौढ़ दोनों ही रस चूस कर पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं. माहू अपने शरीर से श्राव करते हैं, जिस से फफूंद का संक्रमण होता है. इस वजह से गोभी खाने व बिकने योग्य नहीं रहती है. इस कीट का प्रवेश नवंबर से हो कर अप्रैल माह तक सक्रिय रहता है.

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