Barley : अधिकतर किसान फसलचक्र के नाम पर धान, गेहूं, गन्ना के उत्पादन पर अधिक ध्यान देते हैं लेकिन कुछ फसलें ऐसी हैं, जिन की कीमत भी अच्छी मिलती है और उत्पादन भी अच्छा लिया जा सकता है.

यदि किसान जौ (Barley) की खेती करते हैं तो उन को अधिक मुनाफा हो सकता है. जौ का अधिक उत्पादन हो सके इस बात को ध्यान में रखते हुए गोविंद वल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर में कृषि अनुसंधान में जौ क्रांति की ओर एक कदम बढ़ाया है. ‘श्री अन्न’ की तरह पौष्टिकता से भरपूर जौ की नई अधिक उत्पादक किस्म पंत जौ 1106 यूपीबी विकसित की गई है. स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद जौ (Barley) की इस प्रजाति को तैयार करने में वैज्ञानिकों को लगभग 12 वर्ष का समय लग गया है.

अब केंद्रीय प्रजाति विमोचन समिति ने इसे पूरे उत्तर प्रदेश असम, पश्चिम बंगाल, बिहार समेत पूर्वोत्तर राज्यों में खेती के लिए स्वीकृत किया है. इन राज्यों में यह बीज बेहतर पैदावार व गुणवत्ता के लिए उपयुक्त है.

अब तक देश के विभिन्न क्षेत्रों और जलवायु के लिए उपयुक्त 140 से अधिक जौ (Barley) की किस्म का विकास किया जा चुका है. पंतनगर विश्वविद्यालय के गेहूं एवं जौ अनुसंधान परियोजना के संबंध में डा. जेपी जायसवाल ने बताया कि पंत जौ 1106 अधिक उपज और बेहतर गुणवत्ता वाली किस्म है. राष्ट्रीय परीक्षणों में पंत जौ 1106 की औसत उपज 44.57 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और अधिकतम उपज क्षमता 74.93 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई है.

यह प्रजाति भूरे व पीले रतवा यानी रस्ट तथा लीफ ब्लाइट जैसी बीमारियों से लड़ने में सक्षम है. नवंबर महीने में अच्छे जल निकास और मध्यम उर्वराशक्ति वाली भूमि में इस की बोआई उपयुक्त होती है. वर्तमान में राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश में जौ (Barley) का सर्वाधिक उत्पादन किया जाता है.

भारत में लगातार डायबिटीज रोगियों की संख्या बढ़ती जा रही है, क्योंकि खानपान पर ध्यान न देने के कारण यह बीमारी बहुत तेजी से बढ़ी है, इसलिए जरूरी है कि ऐसे अनाज को अपने भोजन में शामिल करें जिस से आप डायबिटीज को नियंत्रित रख सकें. इस किस्म में रेशे फाइबर की मात्रा अधिक होते हैं.

‘श्रीअन्न’ की तरह जौ (Barley) भी पोषक तत्त्वों से भरपूर होती है. वर्तमान में कई मल्टीग्रेन उत्पादन में इस का उपयोग हो रहा है. यह पोषण की दृष्टि से बहुत ही लाभकारी है. इस में प्रोटीन की मात्रा 12.3 फीसदी पाई गई है. यह जौ की 2 अन्य किस्मों में मिलने वाले प्रोटीन की मात्रा से अधिक है. इस किस्म का विकास अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के वैज्ञानिकों ने संयुक्त प्रयास कर के किया है.

जौ (Barley) में मौजूद घुलनशील फाइबर (बीटा ग्लूकैन) ग्लूकोज के अवशोषण को धीमा करता है, जिस से भोजन के बाद ब्लड शुगर लैवल धीरेधीरे बढ़ता है.

फाइबर से भरपूर

इस में फाइबर और प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, जो आप को लंबे समय तक संतुष्ट रखता है और कम खाने में मदद करता है, जिस से वजन घटाने में भी मदद मिलती है. यह मैग्नीशियम का एक अच्छा स्रोत है, जो इंसुलिन प्रतिरोध को कम करने और इंसुलिन संवेदनशीलता को बेहतर बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

पोषक तत्त्वों से भरपूर

जौ (Barley) विटामिन बी (जैसे नियासिन, थायमिन) और खनिजों (जैसे आयरन, मैग्नीशियम) से भी भरपूर होता है, जो विभिन्न शारीरिक कार्यों के लिए आवश्यक हैं. रातभर पानी में भिगोए हुए जौ को उबाल कर इसका पानी पिया जा सकता है. आप दलिया या खिचड़ी बना कर भी इसका सेवन कर सकते हैं. जौ को पेय पदार्थों के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

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