धान की फसल से बेहतर पैदावार लेने के लिए अच्छी प्रजाति के बीज के साथ ही जल प्रबंधन का भी खास ध्यान रखना होता है. इस के अलावा फसल में लगने वाली कीट बीमारी से बचाना भी बहुत जरूरी है. यहां इसी विषय पर खास जानकारी दी जा रही है.

सिंचाई से पहले के हालात

दीमक

दीमक के श्रमिक ही हानिकारक होते हैं. ये जड़ और तने को खा कर नष्ट करते हैं. प्रकोपित सूखे पौधे को आसानी से उखाड़ा जा सकता है. उखाड़ने पर पौधों के साथ मिट्टी और गंदले सफेद पंखहीन, 6-8 मिमी लंबे श्रमिक दीमक दिखाई देते हैं.

प्रबंधन

* दीमक से प्रभावित क्षेत्र में कच्चे गोबर की खाद का प्रयोग न करें.

* फसलों के अवशेष को नष्ट करें.

प्रकोप होने पर

* सिंचाई के साथ क्लोरोपायरीफास 20 ईसी 4-5 लिटर प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें.

पत्ती लपेटक कीट

इस की सूंड़ी हानिकारक होती है. इन सूंडि़यों का शरीर पीले हरे रंग का और गहरे भूरे रंग के सिर वाली 2-2.5 सैंटीमीटर लंबी होती हैं. ये पत्तियों के दोनों सिरों को जोड़ कर नाली जैसी संरचना बना देती हैं और उसी के अंदर रह कर हरे भाग को खुरच कर खाती रहती हैं. इस के कारण सफेद रंग की पारदर्शी धारियां बन जाती हैं. एक सूंड़ी अपने जीवनकाल में कई पत्तियों को नुकसान पहुंचाती है.

प्रबंधन

* संतुलित उरर्वक का प्रयोग करें.

* प्राकृतिक शत्रुओं का संरक्षण करें.

* प्रति हील 2 नालीनुमा पत्तियां दिखाई देने पर क्विनालफास 25 ईसी तकरीबन 1.25 लिटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़कें.

गंधी बग

इस कीट के पीले रंग के शिशु और प्रौढ़ दोनों ही धान की दुग्धावस्था में बालियों से रस चूस लेते हैं, जिस के कारण दाने नहीं बन पाते हैं.

प्रबंधन

* छिटपुट रोपाई/बोआई जहां तक संभव हो, न करें.

* खेत में खरपतवार को नष्ट कर दें.

* फूल आने के बाद औसतन 2-3 कीट पर हील दिखाई देने पर फेंथोएट 2 प्रतिशत, फेनवेलरेट 0.4 प्रतिशत या लिंडेन 1.3 प्रतिशत धूल 20-25 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से सुबह हवा कम होने पर बुरकाव करें.

सैनिक कीट

इस कीट की सूंड़ी फसल को नुकसान पहुंचाती है. ये सूंडि़यां दिन में कल्ले अथवा दरारों में छिपी रहती हैं. प्रारंभ में ये धान की पत्तियों को खाती हैं, बाद में धान के पकने के समय शाम को पौधों पर चढ़ कर बालों से 2-3 या कई धान वाले टुकड़े काट कर जमीन पर गिरा देती हैं.

ये गंदे भूरे या पीले रंग की और भूरे सिरे वाली होती हैं. इन की ऊपरी सतह पर गहरी भूरे रंग की पट्टी और बगल में 2 भूरे रंग की पट्टी पाई जाती हैं.

प्रबंधन

* नली और देर से पकने वाली प्रजातियों का चयन करें.

* धान की रोपाई जुलाई के पहले हफ्ते तक जरूर कर दें.

* बैसिलस थुरिनजिएनसिस 0.5-1.0 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

* 4-5 सूंड़ी प्रति वर्गमीटर क्षेत्र में दिखाई देने पर क्लोरोपायरीफास 20 ईसी 1.5 लिटर, क्विनालफास 25 ईसी 1.5 लिटर, डाइक्लोरोवास 76 ईसी 0.5 ला., क्विनालफास 1.5 डी. 25-30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से शाम को छिड़काव करें.

सिंचाई के हालात में

गोभ गिडार

प्रौढ़ मक्खी धूसर भूरे रंग की और सूंडि़यां बिना पैर वाली पीले रंग की होती हैं. सूंडि़यां गोभ में बन रही पत्तियों के किनारों को खाती हैं. ये पत्तियां निकलने पर किनारे से कटी हुई दिखाई देती?हैं.

प्रबंधन

* समय से धान की रोपाई करें.

* जल निकास का प्रबंधन करें.

* 20 प्रतिशत से अधिक प्रकोपित पत्तियां दिखाई पड़ने पर कार्बोफ्यूरान 3 जी 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या मोनोक्रोटोफास 36 ईसी 10 लिटर प्रति हेक्टयर की दर से छिड़काव करें.

तना बेधक

इस कीट की सूंडि़यां हानिकारक होती हैं. पूर्ण विकसित सूंड़ी हलके पीले शरीर वाली और नारंगी पीले सिरे वाली होती हैं. प्रौढ़ मादा के पंख पीले होते हैं और अगले दोनों पंखों के बीच एक काला धब्बा होता है. इस के उदर के अंतिम सिरे पर पीलेभूरे रंग के बालों वाला गुच्छा होता है.

मादा अंडों को पत्तियों के अगले सिरे की ऊपरी सतह पर समूह में देती हैं. इस के हमले से फसल की वानस्पतिक अवस्था में मृत गोभ और बाली अवस्था में सफेद बाली बन जाती है.

प्रबंधन

* गरमी में खेत की गहरी जुताई करें.

* पौधे के रोपाई के पहले ऊपर की पत्तियों को काट दें.

* तना बेधक कीट के प्रकोप का पूर्वानुमान के लिए 6 और 6 महीने टपिंग के लिए 20 फैरोमौन ट्रैप प्रति हेक्टेयर की दर से लगाएं.

* प्रतिरोधी किस्मों को लगाएं, जैसे  साकेत-4, आईआर-26, आईआर-36, रत्ना वगैरह.

* संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करें.

* 5:30-7:00 (सुबह) पतंगों को पकड़ कर नष्ट कर दें.

* अंडे, जो पत्तियों की ऊपरी सतह पर दिए गए हैं, खोज कर नष्ट कर दें.

* कीट के प्राकृतिक शत्रु टाइकोग्रामा जेपोनिकम को 2.5 कार्ड (20,000 अंडे प्रति कार्ड) प्रति हेक्टेयर की दर से रोपाई के 30 दिनों के बाद 6 बार छोड़ें.

* 5 प्रतिशत मृत गोभ अथवा एक अंडे का समूह वानस्पतिक अवस्था में और एक पतंगा प्रति वर्गमीटर बाल निकलने की अवस्था में दिखाई पड़ने पर कारटौप हाइड्रोक्लोराइड

4 प्रतिशत दानेदार रसायन के 17-18 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर का प्रयोग फायदेमंद होता है.

* कटाई जमीन से सटा कर करें.

* 1.5 लिटर नीम औयल प्रति हेक्टेयर की दर से 800 लिटर पानी में डाल कर छिड़काव करें.

हरा फुदका

इस कीट का प्रौढ़ हरे रंग का होता है. इस के पंख के अंतिम भाग पर काले रंग का धब्बा होता है. इस के शिशु और प्रौढ़ दोनों ही पौधे का रस चूस कर हानि पहुंचाते हैं. प्रभावित पत्तियां पहले पीली पड़ती हैं, फिर बाद में कत्थई रंग की हो कर नोंक से नीचे की तरफ सूख जाती हैं. ये फुदके टुंगरू वायरस के वाहक होते हैं.

प्रबंधन

* खेत को खरपतवार से मुक्त कर दें.

* नाइट्रोजन उर्वरक जरूरत से ज्यादा प्रयोग न करें और संतुलित उर्वरक का प्रयोग करें.

* कल्ले बनते समय 10 कीट और बाल आते समय 10-20 कीट प्रति हील दिखाई देने पर क्विनालफास 25 ईसी 1.5 लिटर की दर से छिड़काव करें.

* बैसिलस थुरिनजिएनसिस 0.5-1.0 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पानी में घोल कर छिड़काव करें.

* 1.5 लिटर नीम औयल प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

* विवेरिया बैसियाना का प्रयोग करें.

भूरा फुदका

इस कीट के शिशु और प्रौढ़ दोनों ही पौधों के कल्ले के बीच रह कर तने के निचले भाग और पर्ण कुंचकी से रस चूसते रहते हैं. ये कीट मधुस्राव करते हैं. इस से कवक उग जाते हैं और पत्तियों पर काली पपड़ी पड़ जाती है, जिस से प्रकाश संश्लेषण में अवरोध उत्पन्न होता है.

वानस्पतिक अवस्था में इस के प्रकोप के फलस्वरूप गोलाई में पौधों छोटे रह जाते हैं और सूख जाते हैं. इसे ‘हौपर बर्न’ कहते हैं. बाद में प्रकोप होने पर पौधे गिर जाते हैं और धान से चावल नहीं बन पाते हैं. यह कीट ‘ग्रसी स्टंट’ वायरस का वाहक है. इस कीट के शिशु और प्रौढ़ कत्थई रंग के पंख वाले होते हैं अथवा बिना पंख वाले होते हैं.

प्रबंधन

* खेत को खरपतवार से मुक्त कर दें.

* 30-35 दिन के बाद से 10 दिन के अंतराल पर पानी देना और निकालना लाभदायक होता है.

* संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करें और नाइड्रोजन का प्रयोग जरूरत से ज्यादा न करें.

* 1.5 लिटर नीम औयल प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

* 10 कीट प्रति हील दिखाई देने पर फोरेट 10 जी. 10 किलोग्राम या कारटाप हाइड्रोक्लोराइड 4 जी. 18.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर का प्रयोग 3-5 सैंटीमीटर पानी से भरे खेत में करें.

* वीपीएमसी एक मिलीलिटर के मिश्रण को पानी में घोल कर आवश्यक मात्रा का छिड़काव करें. यह अंडों को नष्ट करने के साथसाथ प्रौढ़ को भी नष्ट करता है.

सफेद पीठ वाला फुदका

इस कीट के प्रौढ़ काले से भूरे रंग के और पीले शरीर वाले होते हैं. इन के पंखों के जोड़ पर सफेद पट्टी होती है. शिशु सफेद रंग के पंखहीन होते हैं. इन के उदर पर सफेद और काले धब्बे पाए जाते हैं. इन के प्रौढ़ और शिशु कल्लों के बीच रह कर रस चूसते रहते हैं, जिस के फलस्वरूप पौधे पीले पड़ जाते हैं.

प्रबंधन

* इस कीट का प्रबंधन भूरे फुदके की तरह किया जाता है.

हिस्पा

इस कीट का प्रौढ़ चमकीला काले रंग का होता है, जिस के शरीर पर छोटेछोटे कांटे जैसी संरचना होती है. ये पत्ते के हरे भाग को खुरच कर खाते रहते हैं. इस के कारण पत्तियों पर सफेद समानांतर धारियां बन जाती हैं. कीट की सूंडि़यां पत्तियों में सुरंग बना कर हानि पहुंचाती हैं.

प्रबंधन

* धान की रोपाई से पहले पत्तियों के ऊपरी भाग को कतर दें.

* खेत से खरपतवार को नष्ट कर दें.

* 2 प्रौढ़ या 2 ग्रसित पत्तियां प्रति हील दिखाई देने पर इंडोसल्फान 35 ईसी 1.2 लिटर क्विनालफास 25 ईसी 1.25 लिटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

बंका कीट

प्रौढ़ कीट सफेद पंख वाला होता है. पंखों पर टेढ़ीमेढ़ी लकीरें पाई जाती हैं. सूंडि़यां हलके हरे रंग की और भूरे सिर वाली होती हैं. ये पत्तियों को अपने बराबर काट कर खोल बना लेती हैं और अंदर रह कर दूसरी पत्तियों से चिपक कर उन के हरे भाग को खुरच कर खाती रहती हैं.

प्रबंधन

* खेत के दोनों सिरों पर रस्सी पकड़ कर पौधों के ऊपर तेजी से वे हिल जाते हैं और सूंडि़यां पानी में गिर जाती हैं. इस पानी को निकाल देने से इन की संख्या कम हो जाती है.

* क्विनालफास 25 ईसी 1.25 लिटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.

गाल मिज

इस कीट का प्रौढ़ मच्छर के आकार का होता है. मादा का उदर चमकीले पीले लाल रंग का होता है. हानि सूंडि़यां द्वारा होती हैं. फलस्वरूप, इस के प्रकोप से बाल न बन कर प्याज की पत्ती के आकार की संरचना बन जाती है, जिसे ‘सिल्वर सूट’ या ‘ओनियन सूट’ कहते हैं.

प्रबंधन

* धान की रोपाई 15 जुलाई से पहले करें.

* अवरोधी प्रजातियों को बाएं. आईआर-20, आईआर-26, साकेत आदि.

* संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करें.

* 5 प्रतिशत कल्ले प्रभावित होने पर कार्बोफ्यूरान 3 जी. 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर  की दर से या कारटाप हाइड्रोक्लोराइड 4 जी. 18.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें.

गंधी बग

इस कीट की पहचान और प्रबंधन असिंचित परिस्थिति में होता है.

बाढ़ के हालात में

पहचान सिंचित परिस्थिति के अनुसार.

तना बेधक

इस तरह से अगर किसान धान की फसल में कीटों से बचाव करेंगे, तो बेहतर उपज ले सकते हैं.

प्रबंधन

* बाढ़ अवरोधी प्रजाति का चयन करें.

* रोपाई के 30 दिन बाद लगातार 6 सप्ताह तक 2-5 कार्ड (प्रति कार्ड 20,000 अंडे) प्रति हेक्टेयर टाइकोग्रामा जेपोनिकम प्रति हफ्ते छोड़ें और बीटी 0.5-1.0 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से आवश्यक पानी में घोल कर छिड़काव करें.

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