Vegetables : बरसात के मौसम में बाजार में सब्जियां अक्सर महंगी हो जाती हैं. क्योंकि बरसात में अनेक बेल वाली सब्जियां बरसात के कारण सड़ने लगती हैं, जिस कारण पैदावार कम हो जाती है. इस के अलावा सब्जियों में अनेक तरह की कीट बीमारियां भी बढ़ जाती हैं. पत्तेवाली सब्जियों की इन दिनों बहुआहत होती है, लेकिन कीड़ों के चलते इन्हें लोग कम खरीदते हैं. ख़पतवार भी अधिक पनपते हैं, जो पैदावार में कमी लाते हैं.
ऐसे में जरूरी है कि बरसात में कुछ खास सब्जियों पर फोकस कर उन्हें आप घर में भी उगा सकते हैं.
सेम की फली सब्जी की खेती
सेम बहुत पसंद की जाने वाली पौष्टिक सब्जी है. इसे बीज के जरीए सीधा उगाया जाता है. उत्तर भारत के क्षेत्र में इसे उगाने का सब से अच्छा समय जून से ले कर अगस्त का महीना है. सेम की फली में बहुत अधिक मात्रा में प्रोटीन होता है. सब से ध्यान रखने योग्य बात ये है कि इसे लगाते समय बीज का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. अपने क्षेत्र के अनुसार इस की बीज की प्रजाति को लगाएं.
बैगन की खेती
बैगन एक सदाबहार सब्जी है और इस से सालोंसाल फल उत्पादन लिया जा सकता है. गर्मियों में इसे मार्चअप्रैल के महीनो में उगाया जाता है. तो सर्दियों के लिए बरसात का मौसम शुरू होते ही लगा दिया जाता है. इस की अच्छी उपज के लिए अच्छी प्रजाति का चयन करें.
करेला की खेती
करेले की खेती अब एक औषधीय फसल भी हो चुकी है, क्योंकि शुगर के पीड़ित लोगों के लिए यह बहुत स्वास्थ्यवर्धक सब्जी मानी जाती है और लोग इस के जूस का सेवन भी सालोंसाल करते हैं. इसलिए निश्चित तौर पर यह मुनाफा देने वाली फसल है. इन दिनों बरसात का मौसम आने वाला है और देश के कई इलाकों में मानसून आ भी चुका है.
ऐसे में बरसात के मौसम में करेले की खेती भी एक अच्छी सब्जी है. लेकिन बरसात के लिए करेले के अलग तरीके के बीज आते हैं. अक्सर लोग गर्मी के मौसम के ही बीजों को उपयोग कर लेते हैं, जिस कारण करेला का उत्पादन अच्छा नहीं मिल पाता. इसलिए आप इस बात का जरूर ध्यान रखें, कि अगर आप बरसाती मौसम का करेला लगाने जा रहे हैं, तो उसी के अनुसार करेले का बीज खरीदें. अगर किसी अन्य मौसम में करेला लगाना है, तो उस के अनुसार ही करेले की प्रजाति का चयन करें.
टमाटर की खेती
टमाटर अब सालों साल मिलता है और इस के बिना अब हर सब्जी का स्वाद भी अधूरा है. साल भर में टमाटर बाजार में अपने कई रंग भी दिखाता है. कभी किसान के वारेन्यारे करता है तो कभी उस के लिए घाटे का सौदा भी बनता है. इसलिए जरूरी है कि समय के अनुसार अच्छी उपज देनेवाली प्रजाति का चयन करें.
टमाटर की खेती आमतौर पर तीन मौसमों में की जाती है:
– खरीफ मौसम में इस की खेती जूनजुलाई में की जाती है. इस समय बारिश का मौसम होता है.
– रबी की खेती में अक्टूबरनवंबर के मौसम में तापमान कम होता है, जो टमाटर की खेती के लिए अनुकूल होता है. इस समय में फसल की वृद्धि अच्छी होती है.
– जायद के समय टमाटर की खेती फरवरीमार्च के समय की जाती है. इस समय तापमान सामान्य होता है.
टमाटर की खेती के लिए उपयुक्त किस्में
भारत में टमाटर की अनेक किस्में होती हैं, जो अलगअलग मौसम और क्षेत्रों में उगाई जाती हैं. कुछ प्रमुख किस्में हैं:
पूसा रूबी, पूसा अर्ली ड्वार्फ, पूसा 120, आर्का विकास, आर्का अभिजीत
इनमें से किसी भी किस्म का चयन करने से पहले कृषि जानकर से यह जानकारी भी लें, कि आप के क्षेत्र के अनुसार कौन से किस्म अच्छी रहेगी.
बीज की तैयारी और बोआई
बोआई से पहले बीजों को फफूंदनाशक से उपचारित कर लेना चाहिए. ताकि रोगों से बचाव हो सके. फिर बीज उपचार के बाद टमाटर की नर्सरी तैयार करें.
पौधों को खेत में रोपने से पहले मिट्टी को अच्छी तरह जोत कर तैयार कर लेना चाहिए. पौधों के बीच 60-75 सैंटीमीटर की दूरी रखनी चाहिए.
टमाटर की खेती के लिए उचित मात्रा में खाद और सिंचाई की आवश्यकता होती है.
सिंचाई
टमाटर के पौधों को नियमित रूप से सिंचाई की आवश्यकता होती है. गरमी के मौसम में हर 4 से 5 दिन और सर्दी में 10 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें.
टमाटर के पौधे की देखभाल का सही तरीका
कीटों और बीमारियों से बचाव
कीट नियंत्रण: सफेद मक्खी, चेपा, और फल छेदक कीट टमाटर के प्रमुख दुश्मन हैं. इन से बचाव के लिए जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करें.
रोग नियंत्रण: टमाटर में पत्तियों का पीला पड़ना, तना गलन, और फल सड़न जैसी बीमारियां हो सकती हैं. इन से बचने के लिए रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें और समयसमय पर फफूंदनाशकों का छिड़काव करें.