गन्ना एक प्रमुख बहुवर्षीय फसल है. अच्छे प्रबंधन से साल दर साल 1,50,000 रुपए प्रति हेक्टेयर से अधिक मुनाफा कमाया जा सकताक है. प्रचलित फसल चक्रों जैसे मक्कागेहूं या धानगेहूं, सोयाबीनगेहूं की तुलना में अधिक लाभ प्राप्त होता है

यह निम्नतम जोखिम भरी फसल है, जिस पर रोग व कीट ग्रस्त व विपरीत परिस्थितियों का अपेक्षाकृत कम असर होता है. गन्ना के साथ अंतरर्वतीय फसल लगा कर 3-4 माह में ही प्रारंभिक लागत हासिल की जा सकती है. गन्ने की किसी भी अन्य फसल से प्रतिस्पर्धा नहीं है. सालभर उपलब्ध साधनों व मजदूरों का सदुपयोग होता है.

उपयुक्त भूमि, मौसम और खेत की तैयारी

उपयुक्त भूमि : गन्ने की खेती मध्यम से भारी काली मिट्टी में की जा सकती है. दोमट भूमि, जिस में सिंचाई की उचित व्यवस्था व जल निकास का अच्छा इंतजाम हो और पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच हो, गन्ने के लिए सर्वोत्तम होती है. उपयुक्त मौसम होने पर गन्ने की बोआई वर्ष में 2 बार की जा सकती है.

शरदकालीन बोआई : इस में अक्तूबरनवंबर माह में फसल की बोआई करते हैं और फसल 10-14 माह में तैयार होती है.

बसंतकालीन बोआई : इस में फरवरी से मार्च माह तक फसल की बोआई करते हैं. इस में फसल 10 से 12 माह में तैयार होती है.

नोट : शरदकालीन गन्ना, बसंत में बोए गए गन्ने से 25-30 फीसदी व ग्रीष्मकालीन गन्ने से 30-40 फीसदी अधिक पैदावार देता है.

खेत की तैयारी

ग्रीष्मकाल में 15 अप्रैल से 15 मई के पहले खेत की एक गहरी जुताई करें. इस के बाद 2 से 3 बार देशी हल या कल्टीवेटर से जुताई कर के व रोटावेटर व पाटा चला कर खेत को भुरभुरा, समतल व खरपतवाररहित कर लें. रिजर की मदद से 3 फुट से 4.5 फुट की दूरी में 20-25 सैंटीमीटर गहरी कूंड़े बनाएं.

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