अपनी फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए उस में समयसमय पर कीट व रोगों की रोकथाम भी जरूरी है. यदि फसलों पर कोई रोग और कीट मिले, तो तत्काल ही उस की रोकथाम करें. ऐसी ही कुछ जानकारी अनेक फसलों के लिए दी गई है. कीटनाशकों और कवकनाशी का छिड़काव आसमान के साफ होने पर ही करें.

चने और अरहर की फली छेदक कीट के जैविक नियंत्रण के लिए किसान फरवरी माह में प्रति हेक्टेयर 5 से 6 फैरोमौन ट्रैप लगाएं. यदि प्रकोप ज्यादा दिखाई दे, तो एनपीवी 250 एलई 1 मिलीलिटर दवा प्रति लिटर पानी में घोल बना कर स्प्रे करें. 15 दिन के बाद बीटी 750 मिलीलिटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें या 700 मिलीलिटर नीम का तेल प्रति हेक्टेयर की दर से घोल बना कर छिड़काव करें.

इस फसल में रासायनिक नियंत्रण के लिए इंडोक्साकार्ब 14.5 एससी को 1 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी की दर से या इमामेक्टिन बेंजोएट 5 एसजी 0.5 ग्राम प्रति लिटर पानी की दर से स्प्रे करें.

Farmingसरसों की फसल में माहू और चित्रित बग कीट के प्रकोप की रोकथाम के लिए आसमान साफ होने पर नीम औयल 3 मिलीलिटर प्रति लिटर पानी में घोल कर छिड़काव करें या फिर इमिडाक्लोप्रिड 1 मिलीलिटर प्रति 3 लिटर पानी के घोल का छिड़काव करें.

उड़द की आजाद-2 और शेखर-2 प्रजातियों की खेती सफलतापूर्वक जायद में की जा सकती है.

मूंग की केएम 2195, केएम 2241, आईपीएम 2-3 और सम्राट आदि प्रजातियां जायद में बोआई के लिए उपयुक्त हैं.

जायद में उड़द/मूंग का बीज दर 20-25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर प्रयोग करना चाहिए. उड़द/मूंग की बोआई से पहले बीज को राइजोबियम और पीएसबी कल्चर के एक पैकेट से 10 किलोग्राम बीज को उपचारित करें. उड़द/मूंग की बोआई के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 25-30 सैंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 सैंटीमीटर रखनी चाहिए.

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