बडवानी : आकांक्षी जिला किसान हब बायोटैक परियोजना के अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र, बड़वानी द्वारा खरीफ फसलों में एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन पर प्रशिक्षण आयोजित किया गया.

यह प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डा. एसके बड़ोदिया के मार्गदर्शन में कृषि विज्ञान केंद्र के सभागार में किया गया. इस औनलाइन/औफलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम में सर्वप्रथम प्रधान वैज्ञानिक डा. एसके बड़ोदिया द्वारा उपस्थित किसानों को वर्तमान में वर्षा की संभावनाओं एवं जलवायु परिवर्तन से होने वाले प्रभावों की जानकारी दे कर खरीफ फसलों में नाशीजीव प्रबंधन विषय की संक्षिप्त जानकारी एंव जल संरक्षण हेतु आधुनिक ड्रिप सिंचाई फर्टिगेशन तकनीकी का उपयोग करने की बात कही.

इस अवसर पर विषय विशेषज्ञ के रूप में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- राष्ट्रीय समेकित नाशीजीव प्रबंधन अनुसंधान केंद्र, नई दिल्ली से प्रधान वैज्ञानिक डा. मुकेश सहगल औनलाइन गूगल मीट के माध्यम से जुड़ कर खरीफ में कपास, सोयाबीन एवं मक्का फसल में नाशीजीव कीट प्रबंधन के लिए अच्छी किस्मों के बीजों का प्रयोग, बीजोपचार कर बोआई करने की बात कही. कपास/सोयाबीन फसल में बीजोचार हेतु जैव उर्वरकों राईजोबियम कल्चर, ट्राईकोडर्मा विरडी का प्रयोग एवं नाशीजीव प्रबंधन हेतु प्रक्षेत्र पर 2-4 फैरोमौन ट्रैप प्रति एकड लगाने की बात कही, जिस से कीट व रोग के प्रकोप से फसल सुरक्षित रहती है. इस के साथ ही साथ बोआई करते समय पौध से पौध की निश्चित दूरी रखें.

किसानों को कपास/सोयाबीन की फसल में लगने वाले पत्ती धब्बा व झुलसा रोगों व अन्य कीटों/रोगों से बचाव के लिए जैविक एवं रासायनिक दवाओं के अनुशंसित मात्रा के प्रयोग एवं कृषि के मित्र कीटों के संरक्षण हेतु भी जानकारी प्रदान की गई.

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