मठरी पहले घरों में बनाई जाती थी. अब यह बाजारों में दुकानों पर आसानी से मिलने लगी है. साधारण सी प्लास्टिक पैकिंग में पैक कर के इन को बेचा जा रहा है. मठरी बनाना बेहद आसान होता है. ऐसे में यह बिजनेस कोई भी शुरू कर सकता है. इसे शुरू करने के लिए बहुत अधिक लागत की जरूरत नहीं होती है. इस में करीब 50 फीसदी का मुनाफा होता है. दरअसल नमकीन के बिजनेस में सब से अधिक मुनाफा मठरी में ही होता है.

मठरी के स्वाद और महक में बदलाव लाने के लिए मेथी, अजवाइन व जीरे आदि का इस्तेमाल किया जाता है. मठरी की खासीयत यह होती है कि यह कुरकुरी रहे. इस के लिए पैकिंग खास तरह से की जाती है. तमाम लोगों को चाय के साथ बिस्कुट से अधिक मठरी पसंद आती है. मठरी को चटपटा बनाने के लिए टाटरी और पिसी खटाई के साथ मसालों का प्रयोग भी किया जाने लगा है.

मठरी बेचने वाले दिनेश कुमार कहते हैं, ‘आज के समय में लोग मिठाई से बचना चाहते हैं. वे चाय में चीनी नहीं डालते. ऐसे में मीठे बिस्कुट का प्रयोग भी खाने में नहीं करते. इसलिए वे चाय के साथ मठरी का प्रयोग करते हैं. मठरी लंबे समय तक खराब नहीं होती है.

मठरी बनाने की सामग्री

मैदा 500 ग्राम (5 कप), देशी घी या रिफाइंड तेल 125 ग्राम, जीरा या अजवायन 1 छोटा चम्मच, नमक 1 छोटा चम्मच या स्वादानुसार, बेकिंग सोडा 2 चुटकी (यदि आप चाहें) और तलने के लिए पर्याप्त रिफाइंड तेल.

विधि

मैदे में देशी घी या रिफाइंड तेल, नमक और अजवायन या जीरा डाल कर अच्छी तरह मिला लीजिए और  पानी की सहायता से सख्त गूंध लीजिए. गूंधे हुए मैदे को 20 मिनट के लिए सेट होने के लिए ढक कर रख दीजिए. कढ़ाई में तेल डाल कर गरम करने के लिए गैस पर रखें.  गूंधे हुए मैदे से उंगलियों की सहायता से थोड़ा सा मैदा निकालें और गोल कर के बेलन से बेलें,  इस में चाकू से 5-6 छेद कर दें और प्लेट में रखें, फिर दूसरी मठरी को भी इसी तरीके से तैयार करें. 5- 6 मठरियां इसी तरह तैयार कर लें और फिर उन्हें तेल में डाल कर, धीमी आग पर तलें. जब तक ये मठरियां सिकें, तब तक और 5-6 मठरियां बेल कर तैयार कर लें. कढ़ाई में मठरियां जब ब्राउन हो जाएं तब उन्हें निकाल लें और किसी प्लेट में पेपर नैपकिन बिछा कर रखें.

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