आजकल सौंदर्य प्रसाधनों से ले कर चिकित्सा व खानपान की वस्तुओं में सुगंधित पदार्थों का प्रयोग बढ़ने लगा है. परफ्यूम, अगरबत्ती, मिठाइयां, गुटखा, सेविंग क्रीम, मसाज क्रीम व ऐरोमा चिकित्सा में सुगंधित बनाने के लिए प्रयोग किया जाने वाला पदार्थ खस, पामारोजा, लेमनग्रास, सेट्रेनिला, मेंथा, गुलाब, केवड़ा इत्यादि से निकलने वाला तेल होता है, जिस की मांग को देखते हुए इस की खेती के क्षेत्रफल में हाल के सालों में बडी तेजी से इजाफा हुआ. इन सुगंधित फसलों की खेती कम लागत, कम श्रम व पशुओं से सुरक्षा की दृष्टि से महफूज मानी जाती है. साथ ही, इस का मार्केट में वाजिब मूल्य भी आसानी से मिल जाता है. इस वजह से सुगंधित फसलों की खेती फायदे का सौदा साबित हो रही है. इन्हीं सुगंधित फसलों में खस का तेल एक ऐसा कृषि उत्पाद है, जिस का बाजार मूल्य किसानों को अधिक लाभ देने के साथ ही लागत में कमी वाला भी है. इसलिए हमारे किसान खस की खेती को अपना कर अत्यधिक लाभ कमा सकते हैं.

खस की खेती में किसानों को जोखिम भी कम है.

खस की खेती के लिए किसी भी तरह की मिट्टी अनुकूल होती है. यहां तक कि इस को बंजर मिट्टी में भी आसानी से उगाया जा सकता है. इस की खेती के लिए सब से पहले उन्नत किस्म की अधिक तेल देने वाली किस्म की नर्सरी की आवश्यकता पड़ती है. इस के पहले से ही एक वर्ष पुरानी पौधों को तैयार कर के रखना चाहिए.

नर्सरी तैयार करने के लिए सीमैप द्वारा विकसित खस यानी वेटिवर की उन्नत किस्मों जैसे केएस-1, केएस -2, धारिणी, केशरी, गुलाबी, सिम-वृद्धि, सीमैप खस-15, सीमैप खस-22, सीमैप खुसनालिका और सीमैप समृद्धि प्रजाति का चयन किया जाना ज्यादा अच्छा होता है. इन प्रजातियों को सीमैप लखनऊ से खरीदा जा सकता है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
सब्सक्राइब करें
अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें...