भारत में फलों की पैदावार में कोई कमी नहीं है, लेकिन फल जल्दी खराब होने वाली चीज है, जिस के लिए भंडारण की समस्या काफी पेचीदा मसला है.

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के एक अनुमान के मुताबिक, 30 से 40 फीसदी फल बाजार में पहुंचने से पहले ही खराब हो जाते हैं. अगर अनाज की बात करें तो उस के रखरखाव में इतनी मुश्किलें नहीं आतीं, जितनी फल को स्टोर करने में आती हैं.

देश में फल इसलिए भी जल्दी खराब होने लगते हैं कि उत्पादन के अनुपात में कोल्डस्टोरेज नहीं हैं. दूसरी अहम बात यह है कि एक जगह से दूसरी जगह लाने व ले जाने के लिए संसाधनों की कमी है.

छोटे किसानों की परेशानी यह होती है कि उन के पास इतना पैसा नहीं होता है कि वे लोग लंबे समय तक के लिए अपने उत्पाद को सहेज कर कोल्डस्टोर में रख सकें. सरकार इस के लिए काम कर रही है, लेकिन कुछ ऐसे तरीके भी हैं जिन का इस्तेमाल कर के किसान फलों से होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं और अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं.

जैम और मुरब्बा : किसान अपनी लागत निकालने के लिए औनेपौने दामों पर फलों को बेचने को मजबूर हो जाते हैं. उन्हें मालूम है कि अगर समय पर फलों को बेचा नहीं गया तो वे खराब हो जाएंगे, जिस से लागत निकालना भी मुश्किल हो जाएगा.

फलों को सीधे बाजार में बेचने के बजाय किसान जैम और मुरब्बा बना कर बेचें तो उन का मुनाफा दोगुना बढ़ सकता है.

फ्रूट जूस या स्क्वैश : जैम और मुरब्बा के अलावा फलों से जूस, स्क्वैश या फ्रूट पल्प भी बनाया जा सकता है. आज के समय में इस तरह के कारोबार से काफी मुनाफा कमाया जा रहा है.

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