बहुत ही साधारण शब्दों में कहें, तो शरीर में रोग पैदा करने वाले हानिकारक कीटाणुओं को कोशिकाओं के अंदर प्रवेश न करने देने की क्षमता को ही रोग प्रतिरोधकता कहते हैं.

रोग प्रतिरोधकता के प्रकार

यह आमतौर पर 2 तरह की होती है :

* जन्मजात रोग प्रतिरोधकता और

* उपार्जित रोग प्रतिरोधकता

जन्मजात रोग प्रतिरोधकता किसी भी जीव में जन्म के समय से ही विद्यमान होती है, जबकि उपार्जित रोग प्रतिरोधकता जन्म के बाद हासिल की जाती है. जन्मजात रोग प्रतिरोधकता के काम न करने की हालत में उपार्जित रोग प्रतिरोधकता अपना काम करने लगती है.

रोग प्रतिरोधकता का काम है रोगाणुओं से लड़ना और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने के लिए जरूरी है संतुलित पोषण.

शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने में मुख्य भूमिका निभाते हैं प्रोटीन, विटामिन और मिनरल, जो हमें मिलते हैं, उस भोजन से जिसे प्रकृति ने हमें इसी उद्देश्य से प्रदान किया है.

यहां हम बात करेंगे उन्हीं 15 खाद्य पदार्थों की, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करने में सहायक हैं. ये खाद्य पदार्थ हैं :

हलदी : सूजन कम करने की विशेषता के कारण हलदी को ओस्टियोअर्थराइटिस और ह्यूमेटौइड अर्थराइटिस के इलाज के लिए सदियों से इस्तेमाल किया जा रहा है.

आप सभी अब जान चुके हैं कि हलदी के अंदर पाया जाने वाला कुरक्यूमिन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करने में सब से ऊपर है और यह एंटीवायरल भी है.

लहसुन : इस के अंदर पाया जाने वाला सल्फरयुक्त कंपाउंड एलिसिन कमाल का है. इसी के कारण लहसुन को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला बताया गया है.

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