भारत को मसालों का देश कहा जाता है. यहां तमाम तरह के मसाले उगाए जाते हैं जैसे काली मिर्च, इलायची (छोटी व बड़ी) अदरक, लहसुन, हलदी, लाल मिर्च वगैरह. देश के तकरीबन सभी राज्य और संघ शासित राज्य कोई न कोई मसाला उगाते हैं. विश्व मसाला व्यापार में वैश्विक निर्यात में भारत का हिस्सा 48 फीसदी है और निर्यात मूल्य में तकरीबन 44 फीसदी है. यह हर साल 0.40 मिलियन टन से ज्यादा मसालों का निर्यात करता है.
पिछले कुछ सालों में मसालों के आयात में काफी बढ़ोतरी हुई है. विश्व मसाला उत्पादन में भारत की प्रमुख स्थिति है. सरकार ने केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर मसाला उद्योग के विकास के लिए कुछ उपाय और उपक्रम किए हैं.
राजस्थान की बीजीय मसालों के उत्पादन में देश में एक अलग ही पहचान है. राज्य को बीजीय मसालों के कटोरे के नाम से भी जाना जाता है. राजस्थान धनिया व मेथी के उत्पादन में देश में पहले स्थान पर है तो जीरे में दूसरे स्थान पर. साथ ही, दूसरे बीजीय मसालों के उत्पादन में भी अहम हिस्सेदारी है.
बीजीय मसालों में राजस्थान अग्रणी भूमिका में है. इस क्षेत्र में अनुसंधान को प्रोत्साहित करने और निर्यात की गतिविधियों को तेज करने के लिए मुख्य संगठन कृषि और सहकारिता विभाग और भारतीय मसाला बोर्ड हैं.
इन की बढ़ती हुई मांग की आपूर्ति के लिए जरूरी है कि इन के तहत बोआई का क्षेत्रफल बढ़ाया जाए और इन की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में बढ़ोतरी की जाए.
इस के लिए जरूरी है कि हम अपने कुदरती साधनों का वैज्ञानिक विधि से इस्तेमाल करें.