देश के कम पढ़ेलिखे किसानों ने अकसर खेती की जरूरतों के चलते कई नवाचारों व आविष्कारों को जन्म दिया है. ये आविष्कार इन किसानों ने न भारीभरकम संस्थानों में डिगरी हासिल कर प्राप्त की है और न ही किसी विशेषज्ञ की देखरेख व सलाह से, बल्कि खेती के दौरान उपजी समस्याओं से निबटने के लिए कम संसाधनों से ही कई बडे आविष्कार कर डाले हैं. जो एयरकंडीशन कमरों में बैठे हुए बड़े बड़ेबडे कृषि विज्ञानी व तकनीकी विषेषज्ञ नहीं कर पाते हैं.

जिन किसानों के नवाचार आविष्कार को पहचान मिल गई, वे आज मजे की जिंदगी जी रहे हैं और जिन किसानों के आविष्कारों को पहचान नहीं मिल पाती है, वे आविष्कार सिर्फ उन्हीं तक सीमित रह जाते हैं.

ऐसे में गुजरात के अहमदाबाद में स्थित राष्ट्रीय नवप्रर्वतन संस्थान न केवल किसानों के परंपरागत ज्ञान, नवाचार व आविष्कारों से पहचान दिलाता है, बल्कि किसानों के आविष्कारों को पेटेंट कराने से ले कर उस को व्यायवसायिक स्तर पर शुरू करने के लिए माली मदद भी करता है.

इस संस्थान ने खेती के क्षेत्र में न केवल कई लाभदायक आविष्कारों को पहचान दिलाने मे मदद की है, बल्कि किसानों के इन आविष्कारों को बढावा देने में मदद की है.

अहमदाबाद स्थित राष्ट्रीय नवप्रवर्तन संस्थान की स्थापना वर्ष 2000 में इस उद्देश्य से ही की गई कि जिस में बिना किसी बाहरी मदद के जमीनी स्तर कृषि, ग्रामीण विकास, महिला बाल अधिकार, वानिकी, हर्बल आदि के क्षेत्र में कम पढ़ाई व बिना कौशल जानकारी लिए ही ऐसे आविष्कार किए हों, जो किसी भले के लिए काम मे लाई जा सके.

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