तुड़ाई के उपरांत प्रबंधन तकनीक बागबानी विज्ञान की एक उभरती हुई शाखा है, जो फल, सब्जी, फूल, मसाले की फसलें वगैरह बागबानी उत्पादन के बाद के प्रबंधन और प्रसंस्करण से संबंधित है.

तुड़ाईकटाई, छंटाई, ग्रेडिंग और कोल्ड स्टोरेज आदि ऐसे कारक हैं, जो न केवल आंतरिक व्यापार को प्रभावित करते हैं, बल्कि विदेशी व्यापार के निर्यात को भी प्रभावित करते हैं.

कटाई के बाद प्रबंधन की बहुत बड़ी गुंजाइश और जरूरत है, क्योंकि भारत चीन के बाद फलों और सब्जियों का दूसरा सब से बड़ा उत्पादक है.

फल और सब्जियां महत्त्वपूर्ण बागबानी फसलें भोजन और अनाज की तुलना में किसान की आमदनी का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत साबित हो रही हैं.

हालांकि बागबानी के दृष्टिकोण से बागबानी फसलों का उत्पादन बहुत ज्यादा होता है, पर साथ ही भारत फल और सब्जियों की तुड़ाई के उपरांत समुचित प्रबंधन की व्यवस्था का न कर पाना उस के लिए बहुत क्षतिकारक हो जाता है.

उचित तुड़ाई के उपरांत प्रबंधन की जानकारी की कमी के चलते कुल फसल नुकसान 25 फीसदी से ज्यादा हो जाता है.

बात करें दूसरे विकसित देशों के बारे में, तो वहां की तुलना में भारत में फल और सब्जियों का प्रसंस्करण का काम बहुत कम है. हालांकि फल और सब्जियों का यह विशाल उत्पादन व्यापार और निर्यात दोनों के बढ़ने का अवसर प्रदान करते हैं.

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के डाटाबेस के अनुसार, साल 2019-20 में भारत ने 5,638 करोड़ रुपए के 8.23 लाख मीट्रिक टन फलों का निर्यात किया है.

सब्जी की बात करें, तो यह मात्रा 31.92 लाख मीट्रिक टन रही. भारत से 5,679 करोड़ रुपए की सब्जियों का निर्यात हुआ है और इन के द्वारा हासिल विदेशी मुद्रा को उचित तुड़ाई के उपरांत प्रबंधन की प्रक्रिया को अपना कर और भी बढ़ाया जा सकता है.

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