Farmer : हाजीपुर, वैशाली, बिहार के रहने वाले अंजित ने राजनीति शास्त्र से एमए करने करने के बाद अचानक कृषि को अपना पेशा बना लिया. उन के पास जमीन नहीं थी, न ही कृषि का कोई ज्ञान था. इस के बाद भी कृषि को पेशा बनाने का इरादा हैरान करने वाला था.
उन के आसपास के लोगों को यह बात कुछ समझ में नहीं आई. उन्हें लगा कि अगर यही करना था तो फिर उन्होंने राजनीति शास्त्र की शिक्षा क्यों ली. घर वालों ने यह बात जाननी चाही, तो अंजित ने कहा कि भले ही उन्होंने राजनीति शास्त्र की तालीम ली है, लेकिन उन्हें राजनीति नहीं करनी.
इस के बाद शुरू हुआ सिलसिला कृषि कार्य का. पास में जमीन नहीं थी, लिहाजा सब से पहले अंजित ने घर के पास खाली पड़े एक जमीन के टुकड़े को अपना कार्य क्षेत्र बनाने का फैसला लिया.
उन्होंने जमीन के मालिक से इस बारे में बात की. बातचीत के बाद उन्होंने लगभग 1 एकड़ जमीन के लिए 20 हजार रुपए सालाना किराया देना तय किया.
अब उन के पास एक खुला आकाश था. उन्होंने फौरन जमीन ले ली. अकेले दम पर कोई भी काम नहीं हो सकता, इसलिए अंजित ने 2 लोगों को अपने साथ जोड़ा. उन दोनों ने भी उन के काम में पूरे दिल के साथ मदद शुरू कर दी.
अंजित ने यह पहले ही सोच रखा था कि वे रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं करेंगे. उसी सोच के मुताबिक जैविक खाद को ही पूरे खेत में डाला गया. नतीजतन खेत में फसल लहलहा उठी.
अब बाजार की चिंता शुरू हुई. इस समस्या से निबटने के लिए उन्होंने खुद बाजार में बिक्री शुरू कर दी. आसपास के गांवों के हाट उन के बाजार बन गए. मांग बढ़ने लगी तो अंजित ने अपनी फसल दूसरी जगहों पर भी भेजनी शुरू कर दी.
अंजित कहते हैं कि वे धीरेधीरे पूरे इलाके में अपनी फसल के उत्पाद बेचने की तैयारी कर रहे हैं. अब तक अंजित के इस काम से कई लोग जुड़ चुके हैं, जिस से उन्हें एक रोजगार मिल गया है. जो लोग कल तक यह सोचते थे कि अब क्या होगा, वे इस रोजगार से प्रसन्न हैं.
अंजित कहते हैं कि खेती कभी भी घाटे का सौदा नहीं रही है. बस उसे मन से करने की जरूरत है. यही एक ऐसा रोजगार है, जिस में मांग कभी नहीं घटती.




 
  
         
    




 
                
                
                
                
                
               