Potato Chips : आलू चिप्स को होली में बनने वाले साधारण चिप्स समझने की भूल न करें. आलू चिप्स (Potato Chips ) का कारोबार पूरी दुनिया में फैला हुआ है. यह दुनिया भर में प्रयोग होने वाले नाश्तों में सब से ज्यादा पसंद किया जाता है. इसे बनाने वाली कंपनियां मोटा मुनाफा कमाती हैं. यह बात और है कि भारत में आलू चिप्स को कारोबारी शक्ल बहुत बाद में मिली.

अभी भी भारत में आलू चिप्स (Potato Chips) के कारोबार को पूरी तरह से बढ़ावा नहीं मिल सका है, जिस की वजह से आलू किसानों को अपनी मेहनत की सही कीमत नहीं मिल पाती है. अगर आलू किसानों को सही कीमत देनी है, तो आलू की फूड प्रोसेसिंग को बढ़ावा देना होगा. इस में किसानों को शामिल करने का काम करना होगा. जिस से न केवल गांवों में रोजगार बढ़ेगा, बल्कि गांवों के लोगों का शहरों की ओर हो रहा पलायन भी रुक सकेगा.

24 अगस्त, 1853 की बात है. सैरेटोगा स्प्रिंगस न्यूयार्क के एक रिसोर्ट में रुके ग्राहक कौर्नेलियस वांडरबिल्ट को तले हुए आलू खाने में पसंद नहीं आए. उस ने रिसोर्ट के शेफ को बुलाया और कहा कि तुम्हारे तले आलू बहुत मोटे और लिजलिजे हैं. यह सुनना होटल के शेफ को पसंद नहीं आया, पर ग्राहक का लिहाज करते हुए वह कुछ बोल नहीं पाया.

मन ही मन उस शेफ ने तले आलू को ले कर नया प्रयोग करने की ठान ली. उस ने आलुओं की पतली फांकें काटने का निर्णय लिया. कौर्नेलियस वांडरबिल्ट को आलू की फांकें खूब पसंद आईं. जल्द ही इस डिश को सैरेटोगा चिप्स के नाम से रिसोर्ट के मेन्यू में शामिल कर लिया गया.

20वीं सदी की शुरुआत तक आलू से तैयार होने वाले इस तरह के चिप्स का दायरा केवल होटलों में तैयार की जाने वाली डिशों तक ही सीमित था. इस बीच खाने में इन का घरेलू इस्तेमाल भी शुरू हो गया था.

साल 1908 में न्यू इंगलैंड स्थित लियोमिन्रटर मैसाचुऐट्स में स्थापित लियोमिन्रटर पोटैटो चिप्स कंपनी ने ट्राईसम आलू के चिप्स तैयार किए. इसी समय के करीब अमेरिका में भी आलू चिप्स (Potato Chips) का कारोबार शुरू होने की तैयारी में था.

साल 1910 में डेटन ओहियो स्थित माइक सेल की आलू चिप्स कंपनी की स्थापना हुई. यह संयुक्त राज्य अमेरिका की सब से पुरानी और पहली चिप्स बनाने वाली कंपनी है. इस समय आलू चिप्स (Potato Chips) को लोहे के टिनों और कांच के बरतनों में रखा जाता था. घोड़ागाड़ी का इस्तेमाल कर के इन को बाजार में एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया जाता था.

कैलीफोर्निया के कारोबारी लौरा स्कड्डर ने आलू चिप्स की पैकिंग के लिए वैक्स पेपर से लिफाफों को तैयार करने का काम शुरू कराया. इन को आयरन से प्रेस कर के या स्टेपल कर के तैयार किया जाता था. लौरा स्कड्डर की कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी वैक्स पेपर की शीट अपने घर ले जाते थे और अगले दिन काम पर आते समय उस से तैयार लिफाफे ले कर आते थे.

इस से आलू चिप्स (Potato Chips) का टूटना और उन के स्वाद का खराब होेना रुक गया. इस से आलू चिप्स ताजे और कुरकुरे रहने लगे. इस प्रयोग से आलू के चिप्स घरघर पहुंचने लगे. लौरा स्कड्डर की पहचान घरघर हो गई. अब आलू के चिप्स प्लास्टिक की पैकिंग में पैक किए जाते हैं. इस में पैकिंग के समय नाइट्रोजन गैस भरी जाती है, जिस से वे अधिक समय तक कुरकुरे बने रहते हैं और टूटने से भी बच जाते हैं.

दुनिया भर में फैला कारोबार

आलू चिप्स (Potato Chips) का कारोबार पूरी दुनिया में फैला हुआ है. ज्यादातर देशों में इसे चिप्स के नाम से ही जाना जाता है. इंगलैंड में इस को क्रिस्प्स और न्यूजीलैंड में चिपीस के नाम से जाना जाता है. आलू की पतली फांक से तैयार चिप्स का इस्तेमाज खाने और नाश्ते दोनों में समान रूप से होता है.

शुरुआत में यह केवल नमक के साथ खाया जाता था. कुछ समय के बाद इस के स्वाद को बढ़ाने के लिए कुछ दूसरी चीजों का इस्तेमाल किया जाने लगा. मक्का, मैदा और कसावा के साथ मिल कर चिप्स और भी अधिक स्वादिष्ठ और सेहत को लाभ पहुंचाने वाला हो गया. आलू के चिप्स स्नैक बाजार में सब से बड़ी हिस्सेदारी रखते हैं. विश्व भर में फैले स्नैक बाजार का 35 फीसदी हिस्सा आलू के चिप्स का है.

साल 1920 में स्मिथ पोटैटो क्रिप्सम कंपनी ने सब से पहले आलू चिप्स (Potato Chips) के स्वाद को चटपटा बनाने के लिए तेल के साथ चटपटे स्वाद वाले नमक का प्रयोग किया था. इस को चिप्स के साथ एक थैली में रखा जाता था. इस को शुरुआत में केवल लंदन के आसपास ही बेचा जाता था.

टोयटो नामक आयरिश किस्प कंपनी ने साल 1950 में नए तरह से चिप्स बनाने शुरू किए जिस में चिप्स के बनते समय ही मसालों को मिलाया जाने लगा. यह प्रयोग खाद्य उद्योग में बड़ी क्रांति के रूप में सामने आया. इस के बाद दुनिया भर की कंपनियों ने टोयटो से यह जानकारी हासिल करने की कोशिश शुरू कर दी.

टोयटो कंपनी की बिक्री बढ़ने से छोटी कंपनी बड़ी कंपनी में बदल गई. इस प्रयोग ने आलू चिप्स (Potato Chips) को पूरी तरह से बदल कर रख दिया. इस के साथ ही स्मिथ के चटपटे नमक का अंत हो गया.

साल 1979 में वाकर्स ने जब स्मिथ का अधिग्रहण किया, तो थैली में नमक को दोबारा से बाजार में लाने की योजना बनाई  इस के लिए ‘साल्ट एन शेक’ आलू चिप्स (Potato Chips) को बाजार में उतारा. इस के बाद चिप्स बनाने वालों ने नैचुरल मसालों का प्रयोग करना शुरू कर दिया था, जिस से बहुत सारे स्वाद वाले मसाले बाजार में उतर आए.

टोयटो द्वारा तैयार ‘चीज एंड ओनियन’ अब तक का सब से बड़ा प्रयोग है. यह आज भी बिना किसी बदलाव के चल रहा है. चिप्स का प्रयोग कई तरह से किया जाता है. मछली चिप्स का प्रयोग सब से अधिक होता है. इसी के साथ ही साथ आलू स्टिक का प्रयोग भी होने लगा है.

समय के साथसाथ चिप्स कारोबार काफी बदल गया है. आज यह आलू किसानों के लिए लाभकारी हो गया है. इस से आलू किसानों को लाभ मिलने लगा है. कृषि वैज्ञानिकों ने आलू की ऐसी प्रजाति विकसित की है, जो केवल चिप्स बनाने के ही काम आती है. अब बहुत सारी देशी और विदेशी कंपनियां इस कारोबार में लगी हुई हैं.

भारत में होली के मौसम में आलू चिप्स (Potato Chips) बनाने का काम बड़ी तादाद में होता है. यहां अभी भी यह एक कुटीर उद्योग की तरह चल रहा है. ‘रेडी टू फ्राई’ चिप्स बाजार में मिलते हैं. इन को घर ले जा कर फ्राई करना होता है. इस के बाद नमकमसाले के साथ इन को खाया जाता है. देश में ऐसे कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने का काम किया जा सकता है. इस से किसानों का भला होगा. तमाम दूसरे लोगों को भी रोजगार मिल सकेगा.

Chips

स्वाद में फंसी दुनिया

चिप्स के स्वाद की पूरी दुनिया दीवानी है. अलगअलग देशों में इस के स्वाद को पंसद किया जाता है. आस्ट्रेलिया में सादे, नमकीन, रोस्ट, चिकन, बारबेक्यू और साल्ट एंड विनेगर स्वाद वाले चिप्स पसंद किए जाते हैं.

आस्ट्रिया में लहसुन के स्वाद वाले चिप्स ज्यादा पसंद किए जाते हैं. बुल्गारिया में पैपरिका, क्रीम एंड ओनियन और चीज एंड हाट चिली स्वाद वाले चिप्स पसंद किए जाते है. कनाडा में सौंफ व केचप स्वाद वाले चिप्स पसंद किए जाते हैं.

चिकन ग्रेवी के साथ भी इस को खाना पसंद किया जाता है. चाइना में चाइनीज व्यंजनों के स्वाद के साथ इस का इस्तेमाल किया जाता है. यहां खीरे के स्वाद वाले चिप्स भी बाजार में मौजूद हैं. मिश्र में चिप्सी ब्रांड का चिप्स बहुत पंसद किया जाता है. इसे कबाब और वाइन के साथ इस्तेमाल किया जाता है. फिनलैंड में टैफेल ब्रांड का चिप्स ज्यादा पसंद किया जाता है.

जर्मनी में पापारिका स्वाद सब से ज्यादा पसंद किया जाता है. यहां कुछ समय से एशियाई स्वाद वाले चिप्स भी खूब पसंद किए जाते हैं. ग्रीस में औरिगैनो स्वाद वाले चिप्स बहुत पसंद किए जाते हैं. हांगकांग में बिकने वाले प्रमुख चिप्स में कैब्ली के मसालेदार एथनिकल और जैक एन जेल के बारबेक्यू चिप्स हैं. लेज को भी हांगकांग में खूबपसंद किया जाता है. भारत और पाकिस्तान में लोकल लेवल पर तैयार चिप्स पंसद किए जाते हैं. अब कुछ समय से बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बनाए चिप्स भी तेजी से अपना कारोबार बढ़ाते जा रहे हैं. बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लेज और चिप्स दोनों अपनी जगह बनाते जा रहे हैं. इन के खास स्वाद में टोमैटो, पुदीना, साल्ट एंड पेपर और रेड चिली पाउडर हैं.

दक्षिण अफ्रीका में फ्रूटी चटनी के साथ चिप्स का स्वाद लिया जाता है. स्पेन में आलिव आयल में तले हुए चिप्स पसंद किए जाते हैं. रूस में ब्लैक पेपर सौर क्रीम के साथ चिप्स का स्वाद लिया जाता है. स्वीडन में बिना छिले आलू से तैयार चिप्स पसंद किए जाते हैं. इन को लैंटचिप्स कहा जाता है.

कैसे बनाएं आलू चिप्स

आलू चिप्स (Potato Chips) को साधारणतया 2 तरह से बनाया जाता है. एक में आलू को ठीक से छील कर उस के पतलेपतले पीस काटे जाते हैं. इन को हलका सा उबाल कर धूप में रख कर सुखाया जाता है. सूख जाने पर इन को डब्बों में रखा जाता है. जरूरत पड़ने पर इन को तेल में तल कर खाया जाता है. इन को स्वादिष्ठ बनाने के लिए मसालेदार नमक का प्रयोग किया जाता है. आलू चिप्स को दूसरी तरह से तैयार करने के लिए कच्चे आलू को साफ तरह से छील कर उस के पतलेपतले चिप्स बना कर तेल में तुरंत फ्राई कर लिया जाता है.

सब से लोकप्रिय तरीका धूप में सुखा कर रखने वाला है. पहले चिप्स काटने के लिए साधारण चाकू का इस्तेमाल किया जाता था. समय के साथसाथ चिप्स काटने की मशीनें आ गई हैं. इन को चलाने के लिए बिजली और हाथ दोनों का इस्तेमाल किया जाता है. बड़ी कंपनियां आलू चिप्स (Potato Chips) बनाने से ले कर उन को खाने के लिए तैयार करने और पैकिंग करने तक में आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल करती हैं.

भारत के घरेलू चिप्स बाजार में अभी भी तलने के लिए तैयार चिप्स ज्यादा पसंद किए जाते हैं. पैकिंग वाले खाने को तैयार चिप्स का बाजार भी तेजी से बढ़ने लगा है. ये ज्यादा स्वादिष्ठ होते हैं. इन को खरीदना सहज होता है. 10 रुपए वाले पैकेट से लगा कर बड़े पैकेट तक बाजार में मौजूद हैं. सब से ज्यादा 10, 20 और 30 रुपए वाले चिप्स के पैकेट बिकते हैं.

इस तरह के चिप्स कारोबार पर विदेशी कंपनियों की बड़ी हिस्सेदारी है. रेडी टू फ्राई चिप्स के बाजार में घरेलू कुटीर उद्योग से तैयार चिप्स बाजार में बिकते हैं. सरकार अगर इस उद्योग को बढ़ावा देने का काम करे तो न केवल आलू किसानों को फसल का सही मूल्य मिल सकेगा, बल्कि  देश में बढ़ती बेरोजगारी को भी कम किया जा सकेगा. खासकर महिलाओं को इस में बड़ी संख्या में रोजगार दिया जा सकता है. आलू चिप्स (Potato Chips) बनाने के लिए बहुत बड़े बजट की जरूरत नहीं होती है. किसान प्रशिक्षण हासिल कर के इस को बनाने का काम कर सकते हैं. इस से उन कीखेती का मुनाफा बढ़ सकता है.

सीखें उद्यमी बनने की कला

राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (एनएसआईसी) एक आईएसओ प्रमाणित कंपनी है, जो बेरोजगारों को रोजगार के अवसर मुहैया कराती है. यहां पर उद्योगों की बारीकियां भी सिखाई जाती हैं. जो लोग यहां से ट्रेनिंग लेते हैं, उन्हें सर्टिफिकेट भी दिया जाता है.

यहां से ट्रेनिंग लेने के लिए आयु 18 साल से अधिक व कम से कम 10वीं पास होना चाहिए. यहां 3 महीने की ट्रेनिंग दी जाती है. ट्रेनिंग करने के बाद चयनित लोगों को उपकरण, मशीन वगैरह खरीदने के लिए मदद भी दी जाती है.

इन की दी जाती है ट्रेनिंग

यहां पर तार से आटोमैटिक कील बनाना, आटोमैटिक जुराब बनाना, बिस्कुट, पेपर प्लेट, आलू चिप्स, नमकीन, पैट बोतल, सोया दूध, पापकार्न, स्टील की कटलैरी, टायलेट पेपर रोल, टोमैटो कैचअप, दोनेपत्तल, आइस्क्रीम कोन, मसाला पीसने और पैक करने का प्रोजेक्ट, अदरकलहसुन पेस्ट बनाने का प्रोजेक्ट, आटा बनाने और पैक करने का प्रोजेक्ट, सरसों से तेल निकालना और पैक करना, फैशन, डिजाइनिंग, टेलरिंग, बे्रड बनाना, कंप्यूटर से एंब्राइडरी, फैंसी लेदर बैग, माउथ फै्रशनर, इंटरलाकिंग, पीको, नूडल्स, ऊनी कपड़े बनाने की मशीन, एलास्टिक टेप बनाने की मशीन, ब्लो मोल्डिंग, सीब्रिंक बनाना, कंप्यूटर हार्डवेयर व नेटवर्किंग, चाक, के्रयन बनाने की मशीन, सोफ्ट टायज बनाना, पेपर नैपकिन वगैरह की ट्रेनिंग दी जाती है.

अधिक जानकारी के लिए आप इस पते पर संपर्क कर सकते हैं: राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम लि., एनएसआईसी भवन, ओखला औद्योगिक क्षेत्र, नई दिल्ली-110020.

फोन नं. – 011-26317482, 26926671.

अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें...