नई दिल्ली: सरकार ने कपास क्षेत्र के विकास के लिए कई उपाय किए हैं और सरकार द्वारा विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं, जिन में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग कपास का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से वर्ष 2014-15 से 15 प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों असम, आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तेलंगाना, तमिलनाडु, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश व पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) के तहत कपास विकास कार्यक्रम कार्यान्वित कर रहा है. किसानों को विभिन्न प्रकार की प्रदर्शनियों, उच्च सघन रोपण प्रणाली पर परीक्षणों, पौध संरक्षण रसायनों और जैव एजेंटों के वितरण व राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय प्रशिक्षणों पर सहायता प्रदान की जा रही है.

इस योजना के तहत वर्ष 2022-23 के दौरान राज्यों को केंद्रीय हिस्सेदारी के रूप में 15.11 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई है. इसी के साथ कपास किसानों के आर्थिक हितों की रक्षा करने और वस्त्र उद्योग को कपास की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने वर्ष 2018-19 से न्यूनतम समर्थन मूल्य दरों को घोषित करने के लिए उत्पादन लागत का 1.5 गुना (ए2+एफएल) का फार्मूला पेश किया हुआ है.

कपास सत्र 2022-23 के लिए उचित औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) ग्रेड कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य में लगभग 6 फीसदी की वृद्धि की गई थी, जिसे आगामी कपास सत्र 2023-24 के लिए 9 फीसदी से 10 फीसदी तक बढ़ा दिया गया है.

Cottonभारतीय कपास निगम (सीसीआई) को कपास किसानों की विपरीत परिस्थितियों में बिक्री से बचाने के लिए एमएसपी संचालन के लिए एक केंद्रीय नोडल एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया है. यह उस समय विशेष तौर पर कार्य करती है, जब उचित औसत गुणवत्ता ग्रेड बीज कपास (कपास) की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य दरों से नीचे गिर जाती हैं.

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