Shubhavari Chauhan : भारत की कृषि परंपरा सदियों पुरानी है, लेकिन आधुनिक समय में इसे वैज्ञानिक और व्यावसायिक दृष्टिकोण के साथ अपनाने वाले किसान कम ही हैं, खासकर युवा और महिलाएं. ऐसे ही एक प्रेरणास्रोत का नाम है शुभावरी चौहान (Shubhavari Chauhan). उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले की इस युवा महिला किसान ने न केवल कम उम्र में जैविक खेती को अपनाया, बल्कि गाय के घी और अन्य कृषि उत्पादों के माध्यम से देशविदेश में अपनी पहचान बनाई है.

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

शुभावरी चौहान (Shubhavari Chauhan) का जन्म 4 अप्रैल, 2005 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के कोठड़ी गांव में हुआ था. उन का पालनपोषण एक शिक्षित एवं कृषि प्रेमी परिवार में हुआ. उन के पिता संजय चौहान कृषि के विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने एम.एस.सी के बाद भी खेती को अपने जीवन का ध्येय बनाया. उन की माता ममता चौहान संस्कृत में स्नातकोत्तर हैं और परिवार में भारतीय संस्कृति व पारंपरिक ज्ञान का गहरा प्रभाव है.

शुभावरी चौहान (Shubhavari Chauhan) की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही विद्यालय से हुई. फिलहाल वह सहारनपुर के मुन्ना लाल गर्ल्स डिग्री कालेज से बी.ए. फाइनल ईयर की छात्र हैं. पढ़ाई के साथसाथ उन्होंने बचपन से ही खेतखलिहान और पशुपालन में गहरी रुचि ली.

कृषि में प्रवेश और नवाचार

शुभावरी चौहान(Shubhavari Chauhan) ने मात्र 10 साल की आयु में अपने पिता के साथ खेती करना शुरू किया था. शुरुआत गन्ने की पारंपरिक खेती से हुई, लेकिन जल्द ही उन्होंने रासायनिक खाद और कीटनाशकों से दूर रहते हुए जैविक खेती को अपनाने का निश्चय किया.

उन्होंने गन्ने की जैविक खेती के साथसाथ पारंपरिक कोल्हू से गुड़ और शक्कर बनाने का काम  शुरू किया. इस के लिए उन्होंने स्थानीय मजदूरों को रोजगार दिया और पुराने पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक विपणन तकनीकों के साथ जोड़ा.

कुछ ही सालों में शुभावरी चौहान ने आम (दशहरी, लंगड़ा, मल्लिका) की. इस के साथ ही,  बागबानी में टमाटर, मिर्च, धनिया, हल्दी और अन्य सब्जियों की खेती को भी जैविक पद्धति से अपनाया. उन्होंने ड्रिप सिंचाई और वर्मी कंपोस्ट जैसी नवीन तकनीकों को अपना कर जल और मृदा संरक्षण में भी योगदान दिया.

Shubhavari Chauhan

पशुपालन और देसी गाय का घी

शुभावरी चौहान (Shubhavari Chauhan) की सब से बड़ी पहचान ‘देसी गाय के घी’ के उत्पादन और निर्यात के क्षेत्र में बनी. उन्होंने 20–30 देशी नस्ल की गायें पाल रखी हैं, जिन्हें केवल जैविक चारा और आयुर्वेदिक उपचार दिया जाता है. उन के द्वारा उत्पादित ‘बिलौनी घी’ की मांग केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पेरिस, दुबई, लंदन और सिंगापुर तक फैली हुई है.

बिलौनी घी की कीमत 1800 से 2000 रुपए प्रति किलो तक होती है, और हर साल वे 70 से 80 किलो घी औनलाइन बेचती हैं. यह घी ‘शुद्धता’ और ‘स्वदेशी तकनीक’ के कारण ग्राहकों के बीच काफी लोकप्रिय है.

पर्यावरण और जल संरक्षण में योगदान

शुभावरी चौहान (Shubhavari Chauhan) ने कृषि को केवल उत्पादन का माध्यम नहीं माना, बल्कि इसे एक सामाजिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के रूप में भी अपनाया. उन्होंने अपने खेतों में नीम, सहजन, कनेर जैसे पौधे लगाए जो वायु प्रदूषण को कम करने में सहायक हैं. जल संकट से निबटने के लिए उन्होंने अपने खेतों में छोटे बांध बनाए, वर्षा जल संचयन और ड्रिप सिंचाई के माध्यम से जल संरक्षण की दिशा में शुभावारी चौहान (Shubhavari Chauhan) ने महत्वपूर्ण काम किया है.

तकनीक और सोशल मीडिया का उपयोग

शुभावरी चौहान (Shubhavari Chauhan) ने डिजिटल तकनीकों को भी अपनाया है. वह सोशल मीडिया प्लेटफौर्म्स जैसे इंस्टाग्राम और यूट्यूब के माध्यम से खेती के टिप्स, वीडियो ब्लौग, घी निर्माण प्रक्रिया, आम की पैकिंग आदि से जुड़े वीडियो पोस्ट करती हैं, उन के हजारों फौलोवर्स हैं, जो उन के काम से प्रेरणा लेते हैं. उन का एकमात्र उद्देश्य है “युवा किसानों को जोड़ो, मिट्टी से जोड़ो.”

सम्मान और पुरस्कार

शुभावरी चौहान (Shubhavari Chauhan) को उन के उल्लेखनीय कार्यों के लिए कई राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पुरस्कार प्राप्त हुए हैं. कुछ प्रमुख सम्मानों में शामिल हैं:

  • कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही द्वारा सम्मानित किया गया

– “बेस्ट यंग फार्मर अवार्ड” (2024) – फार्म एंड फूड पत्रिका द्वारा, लखनऊ में.

– “वानी पुरस्कार” (2024) – मृदा संरक्षण और जैविक खेती के लिए.

– किसान दिवस (2023) पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा राज्य स्तरीय किसान सम्मान.

– कृषि विज्ञान केंद्र और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) से विशेष प्रशस्ति पत्र.

इन पुरस्कारों के साथसाथ वे कृषि संगोष्ठियों, वेबिनार और महिला सशक्तिकरण कार्यक्रमों में भी वक्ता के रूप में शामिल होती हैं.

Shubhavari Chauhan

आर्थिक प्रभाव और रोजगार

शुभावरी चौहान (Shubhavari Chauhan) का सालाना टर्नओवर लगभग 25 लाख रुपए है. वह अपने गांव और आसपास के क्षेत्र में 25 से 30 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देती हैं. उन का यह मौडल “गांव में रहो, गांव को समृद्ध करो” – आज अन्य युवाओं के लिए उदाहरण बन चुका है.

उनका मानना है कि “अगर सही मार्गदर्शन और ईमानदारी से मेहनत की जाए तो खेती भी करोड़ों का व्यवसाय बन सकता है.”

भविष्य की योजनाएं

शुभावरी चौहान (Shubhavari Chauhan) अब खेती को और बड़े स्तर पर ले जाने की तैयारी कर रही हैं. उन की योजनाएं हैं:

– औनलाइन ब्रांड बनाना – “Shubhavari Organic”

– डेयरी यूनिट का विस्तार

– फार्म टूरिज्म की शुरुआत – जहां लोग जैविक खेती, पशुपालन, घी निर्माण की प्रक्रिया को सीधे देख सकें.

– ग्राम महिला स्वावलंबन केंद्र – महिलाओं को स्वरोजगार और प्रशिक्षण देने हेतु.

शुभावरी चौहान (Shubhavari Chauhan) की कहानी आज के युवाओं, विशेष रूप से लड़कियों के लिए एक प्रेरणा है. जहां अधिकांश युवा शहरी जीवन और नौकरी की ओर भागते हैं, वहीं शुभावरी चौहान ने गांव में रह कर ही अपनी पहचान बनाई है. उन्होंने यह साबित कर दिखाया कि यदि लगन और सच्ची मेहनत हो, तो खेती केवल आजीविका नहीं, बल्कि सम्मान और समृद्धि का मार्ग बन सकती है.

उन की यात्रा भारत की नई कृषि क्रांति का उदाहरण है जो ज्ञान, परंपरा, नवाचार और स्वदेशी सोच से प्रेरित है. शुभावरी चौहान न केवल एक किसान हैं, बल्कि एक आंदोलन की शुरुआत हैं.

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