Agriclinic : रामअधीन वर्मा ने जब 15 साल पहले कृषि में बीएससी किया, तो वे नौकरी के लिए दरदर की ठोकरें खा रहे थे, मगर आज स्थिति ठीक उलटी है वे खुद दूसरों को नौकरी दे रहे हैं. उन्होंने पारिवारिक सदस्यों के अलावा 10 लोगों को अपनी टीम में शामिल कर के पक्का रोजगार दिया है. इस समय उन के कारोबार की सालाना कमाई 2 करोड़ रुपए से ज्यादा है. 3 ब्लाकों के किसान उन्हें खेती और पशुपालन का माहिर डाक्टर मान कर बहुत इज्जत करते हैं.

आसपास के लोगों में उन के प्रति इज्जत का ही नतीजा रहा कि उन्हें इस बार हुए उत्तर प्रदेश पंचायत चुनावों में लोगों ने ग्राम प्रधान की सीट सौंप दी है. यह सब उन के एग्रीक्लीनिक और एग्रीबिजनेस सेंटर को सफलतापूर्वक चलाने के कारण हुआ है. आइए जानते हैं कृषि उद्यमी से ग्राम प्रधान बने रामअधीन वर्मा के बारे में :

4 भाइयों में सब से बड़े रामअधीन वर्मा उत्तर प्रदेश के पिछड़े जिले अंबेडकर नगर के गांव अरूसा आजमपुर के रहने वाले हैं. उन के पिता साधारण किसान हैं. रामअधीन वर्मा ने साल 1990 में नेशनल पीजी कालेज बड़हलगंज, गोरखपुर से बीएससी (कृषि) की थी. कृषि से बीएससी करने के बाद उन्होंने सरकारी और गैरसरकारी नौकरियों के लिए खूब चक्कर काटे. लेकिन मनमुताबिक नौकरी न मिलने के कारण आखिरकार घर पर रह कर खेती करने लगे.

इसी बीच साल 2007 में उन्हें कहीं से एग्रीक्लीनकि व एग्रीबिजनेस सेंटर के प्रशिक्षण की जानकारी मिली. उसी साल उन्होंने वाराणसी स्थित श्री मां गुरु ग्रामोद्योग सेवा संस्थान से प्रशिक्षण ले लिया. बस यहीं से उन की जिंदगी में बदलाव आया.

ट्रेनिंग लेने के बाद साल 2008 में एग्रीक्लीनिक व एग्रीबिजनेस सेंटर चलाने के लिए उन्होंने पड़ोस के बसखारी कसबे की बैंक आफ बड़ौदा शाखा से 4 लाख रुपए का कर्ज लिया. बैंक द्वारा आर्थिक सहायता मिलने के बाद उन्होंने अपने क्लीनिक के जरीए किसानों को नए कृषि यंत्र समेत कृषि की जरूरत के सभी सामानों की बिक्री करना शुरू कर दिया. सुबह साढ़े 7 बजे से 10 बजे तक किसानों के खेतों को देखना, समयसमय पर फसलों का तुलनात्मक प्रदर्शन कराना, फसल गोष्ठी आयोजित कराना और कृषि प्रसार सेवाएं देना उन की आदत में शुमार हो गया.

यह उन की मेहनत का ही नतीजा है कि मौजूदा समय में उन की पहचान और इज्जत एक माहिर कृषि व पशुपालन डाक्टर के रूप में जिले के 3 ब्लाकों टांडा, बसखरी और रामनगर के तकरीबन 100 गांवों के 8 हजार किसानों तक बन चुकी है. इस समय उन के क्लीनिक द्वारा कंबाइन हार्वेस्टर, रीपर, रोटावेटर, जाइरोवेटर, स्प्रेयर, 65 हार्स पावर के ट्रैक्टर समेत अन्य महंगे कृषि यंत्र किराए पर दिए जाते हैं, जिस से एक तो किसानों को जरूरत की तमाम चीजें एक ही जगह से आसानी से मिल जाती हैं, वहीं दूसरी ओर रामअधीन वर्मा को फायदा भी होता है. उन के अनुसार उन के क्लीनिक से होेने वाली मासिक बचत तकरीबन 3 लाख रुपए है.

गांव के साथ ही साथ पूरे इलाके में जब उन के प्रति लोगों का भरोसा बेहतर बन गया, तो साल 2015 के पंचायत चुनावों में उन्होंने अपनी किस्मत आजमाई. वे चुनाव लड़े और 2 प्रत्याशियों को भारी मतों से हरा कर अपनी ग्राम पंचायत के प्रधान बने.

इस बारे में वे कहते हैं, ‘यह एग्रीक्लीनकि और एग्रीबिजनेस की देन है कि हमारी लोकप्रियता व किसानों के बीच पैठ को देखते हुए मेरे खिलाफ सिर्फ 2 ही प्रत्याशी खड़े हुए थे और जनता ने हमें आसानी से चुन लिया. किसानों ने जिस तरह से हमारे क्लीनिक पर भरोसा किया था, वैसा ही भरोसा ग्राम प्रधान बनाने में भी किया. अब हमारे पास दोनों जगह और भी बेहतर करने की चुनौतियां हैं, जिसे हम बखूबी निभाएंगे. हर एग्रीक्लीनिक चलाने वाला साथी किसानों का भरोसा जीत कर उन की दोनों तरीके से सेवा कर सकता है.’

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