वर्धा : बढ़ती हुई आबादी की खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिए हमें खेती की उन्नत तकनीकी का उपयोग करते हुए कृषि और उस से जुड़े उत्पादकता की तरफ पूरी तरह ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है. इस के लिए जरूरी हो जाता है कि हम खेतीबारी में उन्नतशील और अधिक उपज देने वाले ऐसे बीज की किस्मों के उपयोग को बढ़ावा दें, जो कम पानी, खाद और उर्वरक में अधिक उत्पादन देने वाली हो. साथ ही, हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि सेहत पर कैमिकल खादों और उर्वरकों के पड़ रहे बुरे प्रभाव में कमी लाने के लिए धीरेधीरे ही सही, लेकिन हम फसलों में अंधाधुंध कैमिकलl कीटनाशकों के प्रयोग में कमी लाते हुए उसे शून्य स्तर पर लाते हुए जैविक और प्राकृतिक खेती की तरफ रुख करें.

खेती की लागत में कमी लाने में जितना मददगार उन्नत तकनीकी को माना जा सकता है, उतना ही जरूरी है खेती में उन्नत यंत्रों का प्रयोग. इस से न केवल खेती की लागत में कमी लाई जा सकती है, बल्कि समय और मेहनत का बेहतर प्रबंधन भी संभव है. खेती में मशीनों का उपयोग जुताई, बोआई, सिंचाई, उर्वरक प्रबंधन, कटाई, मड़ाई, प्रोसैसिंग सहित ब्रांडिंग और पैकेजिंग जैसे कामों को भी आसान किया जा सकता है.

स्थायी और सतत कृषि के लिए जितना जरूरी है उन्नत तकनीकी, उतना ही जरूरी है प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन, जिस से हम खेती में काम आने वाले प्राकृतिक संसाधनों का कम से कम उपयोग कर उस का सतत उपयोग कर पाएं. खेती में जो सब से जरूरी है, वह है सिंचाई के द्वारा समुचित जल उपयोग और समुचित ऊर्जा उपयोग.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
सब्सक्राइब करें
अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें...