हिसार : बदलते समय के साथसाथ अगर हमें कृषि क्षेत्र में कृषि क्रियाओं को समयानुसार क्रियान्वित करने से जुड़ी चुनौतियों व श्रमिकों की कमी को देखते हुए ड्रोन तकनीक को अपनाना होगा. इस तकनीक को अपनाने से कृषि लागत को कम करने के साथसाथ संसाधनों की भी बचत की जा सकती है.

यह विचार चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कंबोज ने व्यक्त किया. वे विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित कृषि मेला (खरीफ) के शुभारंभ अवसर पर बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे.

मेले में विशिष्ट अतिथि के रूप में महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय, करनाल के कुलपति डा. सुरेश कुमार मल्होत्रा और गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई मौजूद रहे.

इस बार मेले का मुख्य विषय खेती में ड्रोन का महत्व है. मुख्यातिथि प्रो. बीआर कंबोज ने आह्वान किया कि किसान समुदाय को नईनई तकनीकों व प्रौद्योगिकियों के बारे में समयानुसार अपडेट करते रहना समय की मांग है. उन्होंने आगे यह भी कहा कि खेती में ड्रोन तकनीक का महत्व तेजी से बढ़ता जा रहा है, क्योंकि आज के दौर में खाद्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन व पर्यावरण को संरक्षित रखना मुख्य चुनौतियां हैं. साथ ही, किसानों द्वारा फसलों में कीटनाशक दवाओं का अधिक प्रयोग करने से इनसान अनेक बीमारियों की चपेट में भी आ रहा है. हमें उपरोक्त चुनौतियों से निबटना है तो किसानों को ड्रोन तकनीक को अपनाना होगा, क्योंकि ड्रोन के द्वारा कम समय में जल विलय उर्वरक, कीटनाशक, खरपतवारनाशक का छिडक़ाव समान तरीके से व सिफारिश के अनुसार आसानी से किया जा सकता है, जिस से कम लागत होने के साथसाथ संसाधनों की भी बचत होगी.

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