छोटे और मझोले  किसानों के साथ व्यावसायिक खेती से जुड़े किसानों की समस्याओं को देखते हुए गुजरात के एक शख्स ने बेहद ही सस्ते कीमत वाले एक ऐसे ट्रैक्टर को बना डाला.

भारत में छोटे और मझोले  किसानों में कृषि यंत्रों की कमी आज भी बड़ी समस्या है. इस कमी का एक बड़ा कारण है ट्रैक्टर और खेती में काम आने वाले यंत्रों के ऊंचे दाम. ऐसे में छोटे और मझोले किसान महंगे दामों पर किराए पर ट्रैक्टर और यंत्रों का उपयोग करने के लिए मजबूर होते हैं.

अगर कोई छोटा और मझोला  किसान हिम्मत कर के लोन से ट्रैक्टर और खेतीबारी के यंत्र ले भी लेता है, तो वह लोन चुकता न कर पाने की दशा में खुदकुशी जैसे कदम उठाने पर मजबूर हो जाता है.

वहीं दूसरी तरफ ज्यादातर छोटे और मझोले किसान, जो सब्जियों और फलों की खेती करते हैं, उस में बड़े कृषि यंत्रों से काम करना कठिन होता है. ऐसे में इन फसलों के लिए किसानों को ज्यादा मजदूर रख कर काम करवाना पड़ता है. इस वजह से खेती में आने वाली लागत बढ़ जाती है और मुनाफा कम हो जाता है.

छोटे और मझोले किसानों के साथ व्यावसायिक खेती से जुड़े किसानों की इन्हीं समस्याओं को देखते हुए गुजरात के एक शख्स ने बेहद ही सस्ते कीमत वाले एक ऐसे ट्रैक्टर को बना डाला, जो न केवल छोटे और मझोले किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है, बल्कि इस से सब्जियों, फलफूल और व्यावसायिक फसलों की खेती, कटाई, मड़ाई कीटनाशकों का छिड़काव और धुलाई का काम भी बेहद आसान हो गया है.

गुजरात के जिला अमरेली में एक जगह है आदर्श नगर, यहीं के बाशिंदे उपेंद्र राठौर ने 24 साल पहले किसानों की समस्या को देखते हुए एक प्रयोग किया और उस के तहत उन्होंने बेहद ही कम कीमत में थ्रीव्हीलर मिनी ट्रैक्टर बनाने में सफलता हासिल की. उन की यह खोज इतनी कामयाब रही कि आज उन के बनाए 25,000 से ज्यादा ट्रैक्टरों का उपयोग किसानों द्वारा किया जा रहा है.

ऐसे हुई शुरुआत : गुजरात में जिला अमरेली के रहने वाले 10वीं कक्षा पास उपेंद्र राठौर के पिता खेतीबारी से जुड़े छोटेमोटे औजार बनाने के साथ ही खेती से जुड़े औजारों की मरम्मत का काम करते थे. यहीं पर उपेंद्र भी अपने पिता के साथ इन औजारों को बनाने का हुनर सीख रहे थे.

इस दौरान उन्हें पता चला कि खेतीबारी के लिए सब से जरूरी माना जाने वाला ट्रैक्टर महंगा होने से सभी किसानों की पहुंच में नहीं हो पाता है. ऐसे में छोटे किसान ज्यादा किराया दे कर इन यंत्रों का उपयोग कर पाते हैं.

इन बातों ने उपेंद्र के ऊपर इतना असर डाला कि उन्होंने कम कीमत में ट्रैक्टर बनाने की ठान ली. इस दौरान उन्हें पता चला कि एक नवाचारी किसान ने मोटरसाइकिल से ट्रैक्टर बनाने में कामयाबी पाई है. उन्होंने इस से जुड़ी जानकारी इकट्ठा कर कम कीमत में खूबियों वाले ट्रैक्टर बनाने की शुरुआत की और 24 साल पहले उन्होंने पहली बार एक पुरानी बुलैट मोटरसाइकिल के जरीए एक ऐसा ट्रैक्टर को बनाया. जो बेहद बड़े ट्रैक्टर की तरह न केवल खूबियों वाला था, बल्कि उस से खेती से जुड़े काम बड़ी आसानी से किए जा सकते थे.

इस के बाद ट्रायल के दौरान कुछ कमियां आईं. उन कमियों को दूर करने में वे लगे रहे. साल 2003 में उन कमियों को दूर कर रौयल एनफील्ड को मोडिफाइड कर फिर से नया ट्रैक्टर तैयार कर दिया, जो बेहद कामयाब रहा.

जब इस बात की जानकारी किसानों को हुई तो छोटे औरमझोले किसान इस ट्रैक्टर को खरीद कर ले जाने लगे.

उपेंद्र राठौर ने बताया, ‘‘मेरे द्वारा बनाया गया यह प्रयोग बेहद कामयाब रहा और यह तिपहिया मिनी ट्रैक्टर खेती से जुड़े सभी यंत्रों के साथ उपयोग में काम आने लगा था.

‘‘इसी दौरान रौयल एनफील्ड की बिक्री रोक दी गई. चूंकि मैं पुराने बुलैट से ही इस ट्रैक्टर को बनाता था, लिहाजा बुलैट की बिक्री बंद होने के चलते पुरानी मोटरसाइकिल मिलनी कठिन हो गई. इसलिए मैं ने दूसरी तरह की मोटरसाइकिल से इस का निर्माण शुरू कर दिया, जो बेहद सफल रहा.

Tractorयह है खासीयत : उपेंद्र राठौर द्वारा बनाए गए इस ट्रैक्टर में बड़े ट्रैक्टर की कई खूबियां हैं. इस में डीजल से चलाया जाने वाला इंजन लगा है, जिस की ताकत 550 सीसी में 10 हौर्सपावर की है. 1 सिलैंडर वाला यह ट्रैक्टर एयरकूल्ड भी है. 4 गियर आगे और एक गियर पीछे लगने वाले इस ट्रैक्टर में ड्रम ब्रेक लगा है. इसे 25 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से बड़ी आसानी से चलाया जा सकता है.

उपेंद्र ने इस ट्रैक्टर में 15 लिटर की टंकी लगाई है, जो एक घंटे में 600-700 मिलीलिटर डीजल की खपत करता है. 4 क्विंटल के वजन वाला यह ट्रैक्टर बड़ी आसानी से 1 टन वजन सामान का भार सहन कर सकता है. इस ट्रैक्टर में उन्होंने आटोमैटिक हाइड्रोलिक लगाया है.

इस ट्रैक्टर की क्षमता को ध्यान में रख कर उन्होंने खेती में काम आने वाले यंत्रों को मोडिफाइड कर जुताई, बोआई, छिड़काव और ढुलाई में काम आने वाले यंत्र भी बनाए हैं, जिस से बड़ी आसानी से कपास सहित दूसरी फसलों के लिए नाली बनाने, निराईगुड़ाई, छिड़काव के काम को आसानी से किया जाता है.

गांव के लोगों को भी मिला काम : उपेंद्र राठौर ने जब तिपहिया ट्रैक्टर को बनाने में महारत हासिल कर ली, तो उन्होंने अपने आसपास के लोगों को भी इसे बनाना सिखा दिया. इस का नतीजा यह रहा कि बाहर पलायन करने वाले लोग अपने गांव में ही रह कर इस तरह का ट्रैक्टर बना कर अच्छी कमाई करने लगे. उन्होंने बताया कि अभी तक गांव वालों को मिला कर कुल 25,000 ट्रैक्टर बेचने में कामयाबी पाई है.

इस कीमत में उपलब्ध है तिपहिया ट्रैक्टर : उपेंद्र राठौर ने अपने द्वारा बनाए गए तिपहिया मिनी ट्रैक्टर की कीमत 1 लाख, 40 हजार रुपए रखी है. इस कीमत पर कोई भी किसान आसानी से उन के ट्रैक्टर खरीद सकता है. इस के अलावा उन्होंने 4 पहिया ट्रैक्टर भी बना लिया है, जिस की उन्होंने अभी फिक्स कीमत नहीं बताई है.

राष्ट्रपति भवन में प्रदर्शित हो चुका है यह ट्रैक्टर : उपेंद्र राठौर के इस नवाचार को प्रमोट करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले राष्ट्रीय नवप्रवर्तन संस्थानों ने इन के इस आविष्कार को राष्ट्रपति भवन में प्रदर्शित करवाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और साल 2014 में राष्ट्रपति भवन में उन के ट्रैक्टर की उस समय के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा सराहना भी की जा चुकी है.

अफ्रीकी किसानों को भी बेच चुके हैं अपना तिपहिया ट्रैक्टर : इन के ट्रैक्टर की कम कीमत और उस की खासीयत के चलते अफ्रीका के नैरोबी से कई लोगों ने विजिट कर उन के इस इनोवेशन की जानकारी प्राप्त की, जिस के चलते उन के इस ट्रैक्टर की डिमांड नैरोबी में भी होने लगी. उन्होंने अपने कई ट्रैक्टर अफ्रीका के नैरोबी शहर के किसानों को बेचे हैं.

गन्ने की पत्ती निकालने वाले यंत्र को बनाने में पाई कामयाबी : उपेंद्र राठौर की दक्षता को देखते हुए नवाचारों को बढ़ावा देने वाली संस्था ‘सृष्टि’ ने उन से गन्ना किसानों को गन्ने की पत्ती को अलग करने में आने वाली परेशानी के बारे में बताया.

इस बात की जानकारी होने पर उपेंद्र राठौर ने गन्ने की पत्ती निकालने के यंत्र को बनाने पर भी काम करना शुरू कर दिया और लौकडाउन के दौरान लगभग 500 रुपए की कीमत में हाथ से चलने वाले एक ऐसे यंत्र को बनाने में कामयाबी पाई, जिस से बड़ी आसानी से गन्ने की पत्ती को अलग किया जा सकता है. वे अभी इस यंत्र में और भी सुधार करने पर काम कर रहे हैं. उन का कहना है कि जल्द ही इस में जरूरी सुधार के साथ किसानों के लिए उपलब्ध करा दिया जाएगा.

नवाचारों के लिए हो चुके हैं पुरस्कृत : उपेंद्र राठौर को उन के द्वारा किए गए इस नवाचार के लिए 5 मार्च, 2017 को राष्ट्रपति भवन में ‘सृष्टि’ द्वारा बैस्ट नवाचारी के तौर पर सम्मानित भी किया जा चुका है. इस के अलावा भी उन के इस नवाचार के लिए कई सम्मान उन्हें प्राप्त हो चुके हैं.

कैसे करें संपर्क : उपेंद्र राठौर के बनाए इन तिपहिया ट्रैक्टरों के बारे में अधिक जानकारी के लिए उन की फैक्टरी राठौर एग्रो इंडस्ट्रीज, आदर्श नगर, अमरेली रोड, चित्तल, जिला अमरेली, गुजरात से संपर्क किया जा सकता है या उन के मोबाइल नंबरों 9726518788, 9925873793 से संपर्क किया जा सकता है.

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