अब खेती में बोआई से कटाई तक हर कदम पर मशीनें काम आती हैं. इन के इस्तेमाल से वक्त, पैसा और मेहनत बचती है, पैदावार व कमाई बढ़ती है. खेती की मशीनें किसानों की तरक्की में मददगार साबित हुई हैं.
पहले किसान हल, बैल, कुदाल, हंसिया, खुरपी व फावड़े से खेती करते थे, जिन से काम कम होता था. धीरेधीरे खेती के तौरतरीके बदले. सुधरे हुए औजार और मशीनों का चलन बढ़ा. इन से खेती के मशक्कत भरे काम आसान हुए. लेकिन बड़ी मशीनें खरीदना सब के लिए आसान नहीं है.
बहुत से किसानों को खेती की मशीनें खरीदने के लिए तगड़े सूद पर कर्ज लेना पड़ता है. ऐसे में सम झदारी से काम लेना जरूरी है. अगर सोचसम झ कर कदम न उठाएं तो कई बार मशीनें फायदे की जगह नुकसान का सबब बन जाती हैं.
बहुत से किसानों ने बैंक से कर्ज ले कर ट्रैक्टर खरीदे और उस की किस्त चुकाने में अपनी जमीन गंवा बैठे. अपनी शान दिखाने के लिए फुजूल का दिखावा व दूसरों की देखादेखी कभी न करें. अपनी जेब व जरूरत के मुताबिक फैसला करें कि कब, कहां से कौन सी मशीन खरीदनी है.
बाजार में बहुत सी कंपनियों की मशीनें मौजूद हैं. कंपनियां किसान मेलों वगैरह में अपने स्टौल लगाती हैं, अपने इश्तिहार देती हैं. तसल्ली से पहले पूरी जानकारी करें, ताकि वाजिब दाम में सब से बेहतर मशीन खरीद सकें.
मशीन का मौडल, कूवत, कीमत व खासीयत पता करें. हमेशा किसी अच्छी साख वाली दुकान या कंपनी की एजेंसी से ही मशीन खरीदें, ताकि धोखाधड़ी की गुंजाइश न रहे.
सस्ती लोकल मशीनें हलकी होने के चलते जल्दी खराब होती हैं या वे अचानक कभी भी बीच में धोखा दे जाती हैं और काम रुक जाता है. उन में टूटफूट व मरम्मत का खर्च भी ज्यादा होता है.
आईएसआई या आईएसओ जैसे क्वालिटी निशान लगी मशीनों को तरजीह दें. खरीद के वक्त मशीन के नटबोल्ट और बौडी चैक करें. हो सके तो उसे चला कर देखें और खासकर भीतरी हिस्सों पर नजर डाल लें.
इस्तेमाल की हिदायतों का मैनुअल, तारीख, दस्तखत व मोहर लगा गारंटी कार्ड व पक्की रसीद जरूर लें और उसे संभाल कर रखें.
Machines
मशीनों की सही देखभाल
ज्यादातर किसान खेती में काम आने वाली मशीनों की खास परवाह नहीं करते और वे उन को ठीक से इस्तेमाल भी नहीं करते. धूलकीचड़ में सनी मशीनें यों ही खुले में खड़ी रहती हैं.
खुले में बारिश व धूप की मार सहती रहती हैं. उन्हें धो, पोंछ व सुखा कर, साफसुथरी पौलीथिन से ढक कर किसी छायादार जगह पर रखें. खराबी होने पर किसी अच्छे मेकैनिक को दिखाया जाए, तो मशीनें वक्त पर धोखा नहीं देतीं.
खेती में काम आने वाली मशीनों की सही देखभाल करना कोई महंगा या मुश्किल काम नहीं है. अगर किसान चाहें तो वे इसे आसानी से कर सकते हैं. पड़ोसी देश चीन के किसान इस मामले में बहुत आगे हैं. वे अपनी मशीनों का मोल पहचानते हैं. उन को जान से ज्यादा संभाल कर रखते हैं और ज्यादा फायदा उठाते हैं.
महंगाई के दौर में किसान अगर मशीनों की खरीद, उन के इस्तेमाल व रखरखाव में पूरी सावधानी बरतें, तो वे मशीनों से अपना काम करने के अलावा किराए पर चला कर और फायदा उठा सकते हैं.

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