अच्छी उपज लेने के लिए खेत में अच्छे खादबीज के साथसाथ सही समय पर सही सिंचाई का होना भी बहुत जरूरी है. कई फसलों को ज्यादा पानी की दरकार होती है, तो कई फसलें ऐसी हैं, जो कम पानी में भरपूर उपज देती हैं.

आज के समय में पानी व सिंचाई ऐसा विषय है, जिन पर बहुतकुछ सोचा व किया जा रहा है, खासकर खेती की सिंचाई बात करें, तो हमारे देश में अलगअलग जलवायु है. कहीं बेहिसाब पानी है, तो कहीं सूखा पड़ता है, इसलिए हमें पानी को ले कर जल संरक्षण के बारे में सोचना होगा. कम पानी में भी अच्छी खेती की जा सकती है. इस के लिए हमें खेती में सिंचाई के लिए आधुनिक तौरतरीकों को जानना होगा और उन्हें अपनाना होगा.

सिंचाई की आधुनिक तकनीकों में स्पिंकलर विधि (फव्वारा), ड्रिप इरिगेशन (टपक सिंचाई) जैसी तकनीकें हैं, जिन्हें नेटाफिम जैसी कंपनियों ने बढ़ावा दिया है. वे सिंचाई के ऐसे उपकरण बना रही हैं, जो हर छोटेबड़े किसानों की पहुंच में हो सकती हैं. शुरुआत में यह महंगा सौदा जरूर मालूम होता है, लेकिन कुलमिला कर पानी की खपत को ले कर हिसाब लगाया जाए तो यह बेहद फायदेमंद हैं.

ड्रिप इरिगेशन (टपक सिंचाई) 

NetaFemनेटाफिम प्रणाली दुनियाभर के देशों में पिछले 4 दशकों से भी अधिक समय से काम कर रही है. साल 1997 से भारतीय किसानों को उच्च प्रति की ड्रिप सिंचाई प्रणाली और विभिन्न सेवाएं प्रदान कर रही है. आज भारत में 8 लाख एकड़ से भी ज्यादा क्षेत्र पर नेटाफिम ड्रिप प्रणाली सफलतापूर्वक काम कर रही है.

 

ड्रिपलाइन

अत्याधुनिक इजरायली तकनीक से बनी नेटाफिम ड्रिपलाइन का निर्माण भारतीय खेती की जरूरतों को ध्यान में रख कर किया गया है. ड्रिपलाइन के हर ड्रिपर में फिल्टर होता है, जो  ड्रिपर में कचरा जमा नहीं होने देता. जमीन व फसल की जरूरत के मुताबिक ड्रिपर के बीच की दूरी 20, 30, 40, 50, 60, 75 व 90 सैंटीमीटर और ड्रिपर 1.4/2.1/2.9 लिटर प्रति घंटा प्रवाह दर में उपलब्ध है. सभी प्रकार की सब्जियों, गन्ना, कपास, फूलों की खेती व सघन बागबानी के लिए खास उपयोगी है.

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