11 अगस्त, 2023 को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर छत्तीसगढ़ द्वारा औषधीय, सगंध पौधों और मसालों पर शीर्ष विशेषज्ञों की राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई.
सेमिनार की विशेषज्ञ आमंत्रित वक्ता "मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म्स एंड रिसर्च सेंटर" चिखलपुटी कोंडागांव की गुणवत्ता और विपणन प्रमुख अपूर्वा त्रिपाठी ने बस्तर की "ब्लैक गोल्ड" कही जाने वाली काली मिर्च की सफल किस्म "मां दंतेश्वरी काली मिर्च-16" पर अपनी प्रस्तुति देते हुए बताया कि कैसे डा. राजाराम त्रिपाठी के मार्गदर्शन में इस संस्थान द्वारा विकसित बस्तरिया काली मिर्च "एमडीबीपी 16" बस्तर के किसानों की जिंदगी को बदल रही है, बेहतर बना रही है.

उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश में काली मिर्च का प्रति पेड़ उत्पादन औसतन डेढ़ से दो किलोग्राम है, जबकि बस्तर में डा. राजाराम त्रिपाठी के द्वारा विकसित यह नई किस्म प्रति पेड़ 8 से 10 किलोग्राम काली मिर्च का उत्पादन दे रही है. इतना ही नहीं, इस की गुणवत्ता भी शेष भारत की काली मिर्च से बेहतर है.

उन्होंने सभी आमंत्रित विशेषज्ञों को कोंडागांव चल कर अपनी काली मिर्च की खेती, इस के उत्पादन और गुणवत्ता को देखने पर रखने हेतु आमंत्रित भी किया.

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा. गिरीश चंदेल ने कहा कि "मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म" छत्तीसगढ़ में ही नहीं, बल्कि संभवतः पूरे देश में पहला है, जिस ने इस तरह की उच्च स्तरीय मल्टीलेयर फार्मिंग शुरू की है. उन्होंने देश के वैज्ञानिकों को छत्तीसगढ़ बस्तर में हो रही काली मिर्च की सफल खेती की विशिष्ट पद्धति के बारे में बताया.

संगोष्ठी में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के साथ ही देश के कुछ अन्य कृषि विश्वविद्याल भी "मां दंतेश्वरी हर्बल ग्रुप" के सहयोग से अपने राज्यों के विभिन्न क्षेत्रों में काली मिर्च की खेती के विस्तार किया जाना तय किया गया. इस!का पायलट प्रोजैक्ट बहुत जल्द शुरू किया जाएगा.

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